Our Social Networks

घोसी उपचुनाव: करारी हार के बाद ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान का क्या होगा?

घोसी उपचुनाव: करारी हार के बाद ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान का क्या होगा?

[ad_1]

Ghosi by-election: What will happen to Omprakash Rajbhar and Dara Singh Chauhan after the crushing defeat?

दारा सिंह चौहान के साथ ओमप्रकाश राजभर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


घोसी उपचुनाव के ऐसे नतीजे की कुछ शीर्ष भाजपा नेताओं ने कल्पना नहीं की थी। वहीं समाजवादी पार्टी के रणीनीतिकारों को इतनी ही बड़ी जीत मिलने की उम्मीद थी। यह उम्मीद पालने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश के करीबी संजय लाठर थे। सुधाकर सिंह जीत गए। दारा सिंह चौहान और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर की कोशिशें काम नहीं आईं। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी इसे इंडिया गठबंधन की जीत बताते हैं। लेकिन सियासी तौर पर इसे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की रणनीतिक हार के तौर पर देखा जा रहा है।

लोकभवन के सूत्र बताते हैं कि उपचुनाव का मतदान होने से पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पता था कि दारा सिंह चौहान चुनाव हार जाएंगे। हारेंगे ही नहीं बल्कि बड़े अंतर से हारेंगे। इस तरह की संभावना को मान लेने में समाजवादी पार्टी के संजय लाठर को भी कोई संकोच नहीं है। बनारस के रहने वाले गाजीपुर मूल के भाजपा के एक बड़े नेता ने कहा कि दारा सिंह चौहान दल बदलू थे। उन्हें पता नहीं क्यों टिकट मिला। यह तो हमारे नेताओं का निर्णय था। दूसरे, ओम प्रकाश राजभर को भी न जाने क्यों एनडीए में लाया गया। सूत्र का कहना है कि वह चुके हुए नेता हैं। ऐसे में तो हारना ही था।

विधानसभा का सत्र, शिवपाल सिंह यादव और मुख्यमंत्री योगी की हंसी 

कुछ ही समय पहले उ.प्र. विधानसभा सत्र के दौरान शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हंसते हुए एक सुझाव दिया था कि वह ओम प्रकाश राजभर को जल्द से जल्द मंत्रिमंडल में शामिल कर लें और अगर ऐसा नहीं करेंगे तो राजभर फिर हमारे साथ आ जाएंगे। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी हंसी नहीं रोक पाए थे। राजनीति के सधे शिवपाल का यह तीर ठीक निशाने पर था। इसके मायने भी निकाले गए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ओम प्रकाश राजभर के एनडीए में शामिल होने से खुश नहीं थे। बताते हैं कि एनडीए में ओम प्रकाश राजभर को लाने की जमीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने तैयार की थी। ओम प्रकाश राजभर कई बार उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक से भी मिल चुके थे। दारा सिंह चौहान को लेकर भी मुख्यमंत्री योगी की अपनी राय थी। लेकिन केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की निगाह राजनीतिक मैक्रोमैनेजमेंट पर थी जो अन्य पिछड़ा वर्ग, दलितों, गैर जाटव आदि को जोड़कर 2014 और 2017 जैसी राजनीतिक पृष्ठभूमि खड़ा करने पर केन्द्रित है। इसके सामानांतर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2022 के चुनाव से पहले साथ छोड़ने और भला बुरा कहने वालों पर सीमित राय रख रहे थे।






[ad_2]

Source link

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *