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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Pixabay
विस्तार
राज्य कर विभाग की टीम ने शहर के आठ मेटल स्क्रैप कारोबारियों की आठ फर्मों में छापा मारकर चार करोड़ का माल जब्त किया है। कारोबारियों ने तत्काल 33.5 लाख रुपये जमा किए। जांच में गिरोह बनाकर कारोबारियों ने 56 करोड़ की खरीद फरोख्त कर टैक्स की चोरी करने का मामला सामने आया है। इस मामले में ब्याज सहित पेनाल्टी लगेगी।
राज्य कर की कार्रवाई से अवैध ढंग से काम करने वाले कारोबारियों में हलचल मची रही। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी अभियान के दौरान मंडल में आठ फर्मों का पंजीकरण फर्जी पाया गया। इनमें मुरादाबाद जिले की एकता विहार काॅलोनी के एक फर्म का घपला प्रकाश में आया था।
इस मामले में अपर आयुक्त ग्रेड-1 कमलेश्वर प्रसाद वर्मा ने संदिग्ध हालात में चल रही मेटल स्क्रैप की फर्म की 2021 से लेकर अब तक के कारोबार का डॉटा इकट्ठा किया गया। जांच में आया कि यह फर्म केंद्रीय जीएसटी में पहले पंजीकृत थी लेकिन पंजीकरण निरस्त हो गया है।
यह ऐसे लोगों से कारोबार करती थी जिनका पंजीकरण अस्तित्व में ही नहीं है। बगैर मॉल के फर्जी इनवाॅयस और आईटीसी हासिल कर ली। जांच में 56 करोड़ का कारोबार अवैध ढंग से करने का मामला पकड़ा गया। अपर आयुक्त ने इस मामले में राज्य कर विभाग की नौ टीमें संयुक्त आयुक्त श्री हरि मिश्रा और मोहित गुप्ता के नेतृत्व में गठित की।
टीमों ने एक साथ प्रभात मार्केंट और असालतपुरा के दो-दो स्थानों, नई बस्ती कुबड़ा, पंडित नगला, पीर का बाजार, नई बस्ती पचफेड़ा में छापा मारा। मौके से राज्य कर टीमों ने करीब चार करोड़ का माल जब्त कर लिया। इनमें दो कारोबारियों ने तत्काल 33.5 लाख रुपये राज्य कर में जमा कर दिया। अभी सभी फर्मों की जांच चल रही है।
दस करोड़ से अधिक की लगेगी पेनाल्टी
राज्य कर के अपर आयुक्त ग्रेड-1 कमलेश्वर प्रसाद वर्मा ने बताया कि व्यवसायियों की 9.2 करोड़ की आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) है। इस मामले में 9.2 करोड़ के साथ पेनाल्टी ब्याज सहित लगेगा। इस प्रकार व्यवसायियों पर दस करोड़ से अधिक का अधिभार पड़ेगा।
दो बैंक खाते प्रकाश में आए
एकता विहार के स्क्रैप कारोबारी ने पहले जीएसटी पंजीकरण के दौरान दो खातों का ब्यौरा नहीं दिया था। उसके साथ काम करने वाले अन्य व्यवसायियों की जांच के दौरान मूल व्यवसायी के दो खातों के बारे में पता चल सका। दोनों खातों को वह टैक्स चोरी करने के लिए प्रयोग में लाता था। अधिकारियों का मानना है कि जांच में अभी अन्य तथ्य भी सामने आएंगे।
रिफंड की दो करोड़ की धनराशि रोकी
आठ मामलों में दो करोड़ का रिफंड निरस्त अपर आयुक्त ने बताया कि अभी जीएसटी पंजीयन को लेकर फर्जीवाड़ा करने के मामले में आठ फर्में पकड़ी गई हैं। इन फर्मों ने रिफंड के लिए आवेदन किया था लेकिन जांच के बाद संबंधित फर्म के रिफंड निरस्त किया गया है। इसी वजह से रिफंड की दो करोड़ रुपये धनराशि रोकी गई है।
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