[ad_1]
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : self
विस्तार
एनजीटी के आदेशों का दादरी में कई साल से उल्लंघन होता चला आ रहा है और जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे रहते हैं। जब भी इस तरह की शिकायत होती है तो पुलिस बारूद माफिया को गिरफ्तार कर लेती है। मगर उन पर गैंगस्टर या गुंडाएक्ट जैसी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण दादरी में अवैध पटाखों का व्यापार फल-फूल रहा है। इनमें अवैध पटाखे बेचने के लिए कपड़ा और परचून की दुकानों को भी नामित कर रखा है और लोग वहीं से जाकर प्रतिबंधित पटाखे खरीदते हैं। एक दशक से अवैध बारूद के कारोबार में लिप्त आठ से दस लोग ऐसे हैं जो हर साल पटाखों की बड़ी खेप के साथ पकड़े जाते हैं।
दिवाली से पहले हर साल पुलिस आतिशबाजी के थोक व्यापारियों से बरामद करके उनके कर्मचारियों को जेल भेजकर अपनी जिम्मेदारी पूरा कर देती है। व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। इसके कारण दादरी में चार से पांच व्यापारी हर साल दिवाली पर बिना लाइसेंस के अवैध आतिशबाजी बेचते हैं।
बड़ी बात यह है कि उनके गोदाम घनी आबादी में बनाए जाते हैं। यदि विस्फोट हो जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है। जबकि एनजीटी के सख्त निर्देश हैं कि बारूद से बने पटाखों को नहीं बेचना है, लेकिन ग्रीन पटाखों के नाम पर असली बारूद के पटाखे बेचे जाते हैं।
[ad_2]
Source link