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रामपुर। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के बाद सक्रिय हुई यूपी एसटीएफ और रामपुर पुलिस की सर्विलांस की टीम गुनहगारों की कॉल डिटेल खंगालनी शुरू की तो कारतूस कांड की परतें खुलती चलीं गईं। सर्विलांस की टीम ने तकरीबन सौ से ज्यादा संदिग्धों की कॉल डिटेल को खंगाला, जिसके जरिए 25 लोग पुलिस के चंगुल में फंस गए। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद खुफिया एजेंसियों ने यूपी एसटीएफ को बेहद गोपनीय इनपुट दिया था। इसके बाद एसटीएफ ने प्रयागराज निवासी पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन, सीआरपीएफ के हवलदार विनोद पासवान और विनेश की कॉल डिटेल खंगालनी शुरू की। कॉल डिटेल के आधार पर ही रामपुर में सप्लाई लेने पहुंचे यशोदानंदन को एसटीएफ ने सीआरपीएफ के हवलदार विनोद व विनेश के साथ राम-रहीम पुल के पास से गिरफ्तार किया था।
एसटीएफ के इंस्पेक्टर आमोद कुमार ने इनके खिलाफ सिविल लाइंस कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद जब तत्कालीन एसपी रमित शर्मा ने इसकी विवेचना सिविल लाइंस कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर रईस पाल सिंह, दरोगा देवकी नंदन और शबाबुल हसन को सौंपी। साथ ही सर्विलांस की टीम को भी सक्रिय किया गया। सर्विलांस की टीम ने उस वक्त करीब सौ से ज्यादा लोगों की काॅल डिटेल को खंगाला था। कॉल डिटेल में सर्विलांस टीम को अहम सुबूत मिले जो कि कोर्ट में गवाही के दौरान पेश किए गए। तत्कालीन सर्विलांस प्रभारी गीतेश कपिल को अभियोजन की ओर से गवाह के रूप में पेश किया गया।
-2010 में मेरी तैनाती रामपुर में थी। सर्विलांस के जरिए आरोपियों तक पहुंचने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आरोपियों के फोन रिकाॅर्ड चेक किए गए थे,जिसमें कई अहम सबूत मिले थे,जिसके आधार पर मैं गवाह के रूप में कोर्ट भी पेश हुआ था। इस मामले को लेकर मेरे पास जो जानकारी थी उससे मैंने कोर्ट को अवगत कराया था।
गीतेश कपिल
तत्कालीन सर्विलांस सेल प्रभारी, रामपुर
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केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से मजबूत पैरवी की गई। अभियोजन के गवाह लगातार कोर्ट में आते रहे हालांकि कुछ वक्त के बाद इस केस में ढिलाई हुई, जिसके बाद तत्कालीन आईजी रमित शर्मा को इस बारे में अवगत कराया गया। उनके निर्देश के बाद इस केस में फिर से तेजी आई।
अमित सक्सेना
जिला शासकीय अधिवक्ता
सीआरपीएफ केंद्र के कूड़ाघर से बरामद हुए थे कारतूस
क्रासर
एके 47 और इंसास के कारतूसों का मिला था जखीरा
संवाद न्यूज एजेंसी
रामपुर। कारतूस कांड के खुलासे में लगी पुलिस को सीआरपीएफ कैंपस में सीआरपीएफ हवलदार विनेश के घर के पास से कूड़ाघर से भी भारी मात्रा में कारतूस बरामद हुए थे। इसके अलावा मुख्य आरोपी के कब्जे से एके 47 व इंसास के प्रतिबंधित कारतूस भी बरामद किए गए थे। तीनों के कब्जे से पहली दफा कारतूसों से भरे आठ बैग बरामद हुए थे,जिसके बाद पुलिस भी हैरत में रह गई थी।
खुफिया तंत्र के इनपुट के बाद सक्रिय हुई एसटीएफ की टीम ने 29 अप्रैल 2010 को सुबह के वक्त राम रहीम पुल के पास छापेमारी करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया था,जिसमें पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन, सीआरपीएफ के हवलदार विनोद व विनेश मौजूद थे। उस वक्त तीनों सड़क किनारे आपस में बातें कर रहे थे। एसटीएफ ने उनको गिरफ्तार करते हुए भारी मात्रा में हथियार बरामद किए।ओवर ब्रिज के नीचे लकड़ी के तख्त पर करीब 7 से 8 बैग रखे हुए थे और वे उसे ले जाने की फिराक में थे। प्रयागराज के नैनी थाना क्षेत्र निवासी यशोदानंदन के कब्जे से नीले बैग से रु. 1,75,000 रुपये और 9 एमएम 500 और .38 एमएम 600 जिंदा कारतूस बरामद किए। इसके अलावा इंसास राइफल के 5.56 एमएम 600 जिंदा कारतूस, एके-47 की 3 एमएम मैगजीन, 3 एमएम मैकेनिज्म, 9 एमएम कार्बाइन बरामद की थी। इसके बाद पुलिस ने जब सीआरपीएफ को खंगाला गया तो हवलदारों के घरों के पास कूड़ेदान से भी मात्रा में कारतूस बरामद किए गए थे।
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