धार्मिक नगरी प्रयागराज में जन्मे अभिनेता, निर्माता, निर्देशक अंशुमन झा को आज भी जैसे ही मौका मिलता है, अपनी जन्मभूमि जरूर जाते हैं और गंगा घाट पर हनुमान जी के दर्शन भी अवश्य करते हैं। उनकी अमेरिकन पत्नी सिएरा विंटर्स की इच्छा है कि वह भी प्रयागराज अपने पति की जन्मभूमि एक बार जरूर जाए। अंशुमन झा जल्द ही अपनी पत्नी को लेकर प्रयागराज जाने वाले हैं और उनका प्रयागराज में जहां जहां बचपन बीता है वे जगहें उन्हें दिखाएंगे। अंशुमन इन दोनों अपनी फिल्म ‘लॉर्ड कर्जन की हवेली’ को लेकर उत्साहित हैं। 35 एमएम के सिंगल लेंस से शूट हुई इस फिल्म से अंशुमन झा बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने ‘अमर उजाला’ से ये खास बातचीत की।
फिल्म ‘लॉर्ड कर्जन की हवेली’ के जरिए अपने निर्देशन करियर की शुरुआत कर रहे हैं, निर्देशक बनने का ख्याल कैसे आया?
फिल्म की कहानी पढ़ने के बाद मैंने इसके लेखक बिकास रंजन मिश्रा (फिल्म ‘चौरंगा’ के निर्देशक) से कहा कि इस फिल्म को सिंगल लेंस पर शूट करते हैं। बिकास ने कहा कि सिंगल लेंस पर कोई भारत में फिल्म शूट नहीं करता है। अगर कोई निर्माता सुनेगा तो वह भी भाग जाएगा। तब बिकास ने कहा कि फिल्म आप जिस नजरिये से देख रहे हैं, मुझे लगता है कि इस फिल्म को आपको ही निर्देशित करना चाहिए। मुझे पता था कि कभी न कभी मैं फिल्म निर्देशन करूंगा लेकिन ये इतनी जल्दी हो जाएगा मुझे पता नहीं था। मेरी मां की भी इच्छा थी कि मैं एक फिल्म निर्देशित करूं।
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अच्छा! और सुभाष घई ने आपको कब फिल्म निर्देशित करने का सुझाव दिया?
अभिनय में करियर शुरू करने से पहले मैं नाटकों का निर्देशन करता था। कई साल तक फिल्मों में सहायक निर्देशक के तौर पर भी काम किया। सुभाष घई साहब की फिल्म ‘ब्लैक एंड वाइट’ में मैं मुख्य सहायक निर्देशक था। एक दिन सुभाष घई सर ने कहा कि मुझे पता है कि तुम बहुत अच्छे एक्टर हो, एक्टिंग ही करना चाहते हो लेकिन दुनिया के लिए फिल्म भी बना देना एक। फिल्म जब पूरी हो जाएगी तो उनको फिल्म दिखाऊंगा और आशा करता हूं कि फिल्म उन्हें पसंद आएगी। मुझे दुख है कि मेरी मां फिल्म नहीं देख पाएगी। 2020 में कोविड के दौरान मेरे माता-पिता का निधन हो गया।
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पहली बार फिल्म निर्देशित करने का अनुभव कैसा रहा, कभी आपको कोई परेशानी नहीं हुई?
मैं 16 साल का था तभी से काम करना शुरू कर दिया। आज इंडस्ट्री में मुझे काम शुरू किए 20 साल हो गए। तब से बिना रुके काम कर रहा हूं। मेरे अंदर कोई खराब आदत भी नहीं है, इसलिए मेरा समय फालतू कामों में नहीं बीता है। या तो मैंने काम किया है, किताबें पढ़ी हैं या फिर ट्रैवल किया है। जब मैं किसी नए निर्देशक से मिलता था तो उनमें से ज्यादातर लोगों ने किसी को असिस्ट नहीं किया होता है। जब आप किसी बड़े निर्देशक के साथ काम कर चुके होते हैं तो आपको पता होता है कि मुसीबतें क्या आने वाली हैं, क्योंकि मैंने काम करके देखा है।
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‘लॉर्ड कर्जन की हवेली’ में आपने अभिनय क्यों नहीं किया?
अगर इस फिल्म का किरदार मेरे मुताबिक होता, तो इसमें मैं जरूर एक्टिंग करता । जब बिकास मिश्रा के साथ इस फिल्म की कहानी को लेकर चर्चा हुई तो मुझे लगा कि इस फिल्म के लिए हिंदुस्तान में दो ही ऐसे एक्टर हैं, जो इसमें काम कर सकते हैं। एक अर्जुन माथुर और दूसरी रसिका दुग्गल। मैंने सोच लिया था कि अगर अर्जुन और रसिका हां बोलेंगे, तभी हम यह फिल्म बनाएंगे नहीं तो कोशिश भी नहीं करेंगे।
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