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बिमल रॉय के बेटे ने सिनेमाघर में देखी ‘महल’, सोशल मीडिया पर लिखा तीखा रिव्यू

बिमल रॉय के बेटे ने सिनेमाघर में देखी ‘महल’, सोशल मीडिया पर लिखा तीखा रिव्यू

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मुंबई शहर में सिनेमा के शौकीनों के लिए रीगल सिनेमाघर से जुड़ी यादें उनकी बरसों की धरोहर हैं। इसी सिनेमाघर में बीती रात निर्माता निर्देशक कमाल अमरोही की साल 1949 में रिलीज हुई फिल्म ‘महल’ की खास स्क्रीनिंग हुई। फिल्म देखने के लिए पूरे शहर से पहुंचने वालों में दिग्गज निर्देशक बिमल रॉय के बेटे जॉय भी शामिल रहे। इस फिल्म को परदे पर देखने का अपना अनुभव उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है जो हिंदी सिनेमा से जुड़े लोगों के बीच गुरुवार को दिन भर चर्चा का विषय रहा। इस खास मौके पर सिनेमाघरों में प्रोजेक्टर चलाने वाले तीन तकनीशियनों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित भी किया गया।

 



फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन की तरफ से आयोजित फिल्म ‘महल’ की स्क्रीनिंग के अपने अनुभवों के बारे में जॉय बिमल रॉय लिखते हैं, ‘मैंने इससे भी खराब फिल्में देखी हो सकती हैं लेकिन फिलहाल कोई दूसरी याद नहीं आ रही। आधी फिल्म के बीच मैंने खुद को फंसा हुआ पाया और मैंने गूगल पर फिल्म की लंबाई देखी तो पाया कि फिल्म 165 मिनट की है। मैंने बटर और कैरमल पॉपकॉर्न के दो बड़े डिब्बे खरीदे, लेकिन इससे कोई मदद मिली नहीं। फिल्म का पटकथा लेखक या तो जिद्दी था या फिर फैसला नहीं ले पा रहा था या दोनों बातें थीं।’


जॉय लिखते हैं, ‘एक भूत था लेकिन नहीं भी था। एक दोस्त था जो दोस्त नहीं था। एक पत्नी जो पत्नी नहीं है और एक कत्ल जो कत्ल ही नहीं है। जो कुछ लटक रहा है, वह वैसा है नहीं। और, सबसे बड़ी बात कि एक गलत आदमी एक गलत औरत से शादी कर लेता है। गनीमत यही रही कि एक मौत है जो वाकई मौत है। लेकिन, ये आखिर में हुआ, जब तक मेरी खुद की आधी जान निकल चुकी थी। मैंने खुद को खुश करने के लिए 20 रुपये की चोकोबार भी खरीदी, लेकिन जिस बात ने मुझे वाकई खुश किया वह था जब किसी ने कहा कि इससे खराब फिल्म मैंने जीवन में नहीं देखी। यानी कि ऐसा महसूस करने वाला मैं अकेला नहीं था।’


राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में देश के अलग अलग हिस्सों से आए फिल्म प्रोजेक्शनिस्ट को भी सम्मानित किया गया। इनमें मुंबई के रीगल सिनेमा में पिछले 50 साल से काम करने वाले प्रोजेक्शनिस्ट मोहम्मद असलम और रायपुर के अमरदीप सिनेमा और राज टॉकीज में 60 वर्षों से काम कर रहे लखन लाल यादव भी शामिल रहे। लखन लाल यादव ने इस मौके पर उन दिनों को याद किया जब सिनेमाघरों में फिल्मों की रील चलती थी और एक प्रोजेक्शनिस्ट को हर समय सतर्क रहना होता था।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अभिनेता नसीरुद्दीन शाह रहे। उन्होंने इस मौके पर कहा, ‘हमारे उद्योग के बारे में एक कड़वी सच्चाई यह है कि जो लोग फिल्म बनाने के लिए सबसे अधिक मेहनत करते हैं, उनकी सबसे कम सराहना की जाती है। ऐसे लोगों को सम्मानित करने की यह बहुत अच्छी पहल है।’


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