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![मुरादाबाद दंगा: नमाज के बाद भड़की थी हिंसा, सवा घंटे में लग गया था कर्फ्यू, 60 दिन तक लोग घरों में रहे थे कैद Moradabad Riot: Riot broke after Namaz, curfew imposed in 1.25 hours, people were imprisoned homes 60 days](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/08/09/750x506/moradabad-riot_1691559003.jpeg?w=414&dpr=1.0)
मुरादाबाद दंगे की गवाह रही ईदगाह
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मुरादाबाद में 13 अगस्त 1980 की सुबह ईद की नमाज के बाद दुआ से पहले ही दंगा भड़क गया था। नमाज खत्म होने के बाद शहर इमाम दुआ की तैयारी कर रहे थे, तभी शोरशराबा के साथ हिंसा फैलनी शुरू हो गई थी। दंगे के सवा घंटे के भीतर ही पूरा शहर कर्फ्यू के हवाले हो गया था। गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच लाशों लाशें गिरने लगी थीं।
दंगे के इस आग में शहर दो महीने झुलसा था। 13 अगस्त 1980 ईद का दिन था। पूरा ईदगाह नमाजियों से भरा था। गलशहीद चौराहे से संभल फाटक तक सड़क पर नमाजी थे। शहर इमाम डॉ. कमाल फाईम ने ईद की नमाज पढ़ाई थी। करीब सवा नौ बजे नमाज खत्म हो गई थी।
खुतबे के बाद दुआ मांगने की तैयारी थी। इससे पहले दुआ हो, दंगा भड़क गया था। जानकारों के मुताबिक दुआ की तैयारी हो रही थी, तभी बीच में एचएसबी इंटर कॉलेज की ओर बात फैलनी शुरू हुई कि नमाजियों के बीच जानवर घुस आया है। इससे लोगों के कपड़े खराब हो गए।
इस बात को लेकर लोग आक्रोशित हो गए। पहले नमाजियों और पुलिस कर्मियों में संघर्ष हुआ। पांच मिनट बाद ही शहर दंगे में घिर गया। पथराव, गोली, आगजनी शुरू हो गई। गोलियों के बीच मची अफरातफरी और भगदड़ के दौरान कई बच्चे दबे गए।
इसके बाद गलशहीद थाना (उस वक्त चौकी थी) को जला दिया गया था। सवा घंटे बाद करीब सुबह 10.30 बजे पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। दंगे की इस आंच में करीब दो महीने से अधिक समय तक शहर जलता रहा। शहर के अमन पसंद लोगों के सामने आने के बाद शहर के हालात धीरे-धीरे सामान्य हुए।
डॉक्टर से विधायक बने थे डॉ. शमीम
दंगे के गुनहगार शहर के फैजगंज निवासी डॉ. शमीम अहमद डॉक्टर से विधायक बने थे। सियासत में आने से पहले वह जिला अस्पताल में बतौर डॉक्टर अपनी सेवाएं थी। वर्ष 1989 में नगर सीट से विधायक बने थे। यह चुनाव उन्होंने जनता दल के टिकट पर लड़ा था।
बाद में उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देते हुए राष्ट्रीय एकीकरण परिषद के उपाध्यक्ष बनाया गया था। डेढ़ साल बाद दोबारा चुनाव हुआ तो उन्हें टिकट नहीं मिला था। डॉ. शमीम ने 1985 में मुस्लिम लीग के टिकट पर गाजियाबाद से लोकसभा का भी चुनाव लड़ा था। वर्ष 1999 में डॉ. शमीम का निधन हो गया था।
लोगों को समझाकर लौट रहे थे अधिकारी, पीछे से शुरू हो गया था पथराव
जांच रिपोर्ट के मुताबिक ईद की नमाज खत्म होने के बाद दुआ से पहले मुस्लिम लीग के शिविर की बायीं ओर कुछ शोरगुल शुरू हो गया था। डीएम और एसएसपी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए थे। अधिकारियों ने किसी तरह लोगों को समझाबुझाकर शांत कराया।
वहां कुछ फोर्स छोड़कर अधिकारी अपने कैंप की ओर लौटने लगे थे। अधिकारी अभी कुछ दूर चले ही थे, तभी पीछे दंगा भड़क उठा। दूसरे समुदाय के लोगों और उनके घरों पर पथराव शुरू हो गया।
अगस्त में हुआ था दंगा और अगस्त में ही सदन में पेश की जांच रिपोर्ट
मुरादाबाद में 13 अगस्त 1980 में दंगा हुआ था। 43 साल बाद अगस्त माह में सदन में जांच रिपोर्ट पेश की गई है। इन 43 सालों में कांग्रेस, सपा, बसपा और भाजपा की सरकारें बनीं। 15 मुख्यमंत्री भी बदले जा चुके हैं लेकिन किसी भी सरकार ने जांच रिपोर्ट पेश नहीं की थी।
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