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![मुरादाबाद दंगा: पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने किया था इलाके का दौरा, मुस्लिम इलाके में नहीं लगी पीएसी की ड्यूटी Moradabad Riot: Former PM Indira Gandhi visited area, PAC duty not engaged Muslim area](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/08/09/750x506/moradabad-riot_1691567519.jpeg?w=414&dpr=1.0)
दंगे के बाद मुरादाबाद पहुंचीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
– फोटो : साहित्यिक शोधालय
विस्तार
मुरादाबाद में 13 अगस्त 1980 की तारीख मुरादाबाद के इतिहास में कालिख की तरह चस्पा है। इस दिन ईदगाह में ईद की नमाज के दौरान हुए विवाद ने दंगे का रूप ले लिया था। इसमें 83 लोग मारे गए थे। दंगे में अपनों को खोने वाले परिवार 43 साल बाद भी दर्द नहीं भूल पाएं हैं। लूटपाट, आगजनी में लोगों के कारोबार तबाह हो गए थे।
मंगलवार को सदन में दंगे की रिपोर्ट पेश हुई तो पीड़ित परिवार को आस जागी है कि उन्हें अब इंसाफ मिलेगा। मुगलपुरा के जीलाल स्ट्रीट निवासी निवासी मनोज रस्तोगी ने बताया कि मुरादाबाद में दंगा भड़कने के बाद अगले दिन 14 अगस्त 1980 को दिल्ली से गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह और दो अन्य केंद्रीय मंत्री के अलावा प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, तीन अन्य मंत्री मुरादाबाद आए थे ।
उन्होंने दंगा ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। शहर में शांति हुई तो 16 अक्तूबर 1980 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मुरादाबाद पहुंची थीं और उन्होंने ईदगाह, गलशहीद, बरबलान दंगा ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया था। ईदगाह पर आयोजित सभा में उन्होंने कहा था कि अपराधियों को सजा जरूर मिलेगी।
क्षेत्र में नहीं लगी पीएसी की ड्यूटी
मुरादाबाद में 1980 के दंगे के बाद मुस्लिम समाज ने पीएसी पर आरोप लगाए थे। इसके बाद 1980 से लेकर 2011 तक मुरादाबाद में मुस्लिम बहुल क्षेत्र में पीएसी की डयूटी पर पाबंदी लगा दी गई थी 2011 में कांवड़ यात्रा के दौरान बवाल हुआ था।
इसके बाद शहर के छह थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया था। इस दौरान पीएसी जवानों की ड्यूटी लगाई गई थी। इसके बाद पीएसी की ड्यूटी से पाबंदी करा दी गई थी। हालांकि जांच रिपोर्ट में पुलिस और पीएसी को क्लीनचिट दे दी गई थी।
मुगलपुरा और कटघर में दर्ज कराई थीं एफआईआर
मुरादाबाद में दंगे से एक दिन पहले ही साजिश के तहत दो एफआईआर दर्ज कराई गई थीं। पहली एफआईआर थाना मुगलपुरा में हामिद हुसैन की ओर लिखाई गई थी जबकि दूसरी एफआईआर कटघर में काजी फजुलुर्रहमान की ओर से दर्ज कराई गई थी।
जिसमें गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाए गए थे। जांच में दोनों केस झूठे पाए गए थे। साथ ये भी सामने आया था कि शहर में दंगा भड़काने वाले वाल्मीकि समाज और पंजाबी समाज को बदनाम करना चाहते थे।
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