[ad_1]
![मौसम अपडेट: लगातार 13वें साल देरी से हो रही मानसून की वापसी, जानें इसके पीछे क्या है कारण Weather Update: Monsoon return late for the 13th consecutive year, this time there is a delay of 13 to 22 days](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/06/27/monsoon_1687822952.jpeg?w=414&dpr=1.0)
monsoon
– फोटो : Social Media
विस्तार
देश में आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाएं 17 सितंबर के आस-पास उत्तर-पश्चिमी भारत से वापस जाना शुरू कर देती हैं, लेकिन इस सीजन में अभी वापसी की कोई संभावना नहीं दिख रही है और बारिश अक्तूबर तक बढ़ सकती है। यह लगातार ऐसा 13वां साल है जब मानसून की वापसी देरी से हो रही है।
मौसम विज्ञान विभाग ने 21 सितंबर को संकेत दिया था कि मानसून की वापसी 21 से 27 सितंबर के अंत तक शुरू हो सकती है। वहीं, अनुमान है कि 30 सितंबर तक देश में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। हालांकि, यह 90 से 95 फीसदी के बीच रहेगी। मानसून सीजन जून से सितंबर के दौरान सामान्य औसत 868.8 मिमी है। आईएमडी के अनुसार, 21 सितंबर तक देश में कुल मिलाकर सात फीसदी बारिश कम हुई। 36 फीसदी जिलों में या तो कम (सामान्य से 20 से 59 फीसदी) या ज्यादा कम (सामान्य से 59 फीसदी से अधिक कम) बारिश हुई है।
जर्मनी में पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च की जलवायु वैज्ञानिक एलेना सुरोव्याटकिना के पूर्वानुमान के अनुसार, उत्तर पश्चिम भारत से मानसून की वापसी 30 सितंबर से नौ अक्टूबर के बीच शुरू हो सकती है। यानी देश के उत्तर-पश्चिम में मानसून की वापसी 13 से 22 दिन की देरी से होगी।
ये हैं कारण
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे के जलवायु अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार आर्कटिक समुद्री बर्फ को काफी नुकसान हुआ है। इसके अलावा उत्तरी गोलार्ध विशेष रूप से ऊष्णकटिबंधीय अटलांटिक काफी गर्म रहा। इन हालातों ने आईटीसीजेड को उत्तर की ओर खींच लिया है और अल नीनो पैटर्न पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग का संकेत है।
इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस जोन (आईटीसीजेड) अंतः ऊष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जहां दो गोलार्धों की व्यापारिक हवाएं एक-दूसरे से टकराती हैं, जो स्थिर मौसम और भीषण गरज के साथ अनियमित मौसम का कारण बनती हैं। जब आईटीसीजेड उत्तर की ओर स्थानांतरित होता है तो भारतीय उपमहाद्वीप पर मानसून बरकरार रहता है। ये सभी कारक मिलकर ऊपरी वायुमंडल के दबाव और अरब सागर से नमी की आपूर्ति के साथ मानसून ट्रफ और मानसून डिप्रेशन की गति को प्रभावित करते हैं।
सुधार की संभावना
इन स्थितियों को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून अक्तूबर तक जारी रहेगा और बारिश के आंकड़ों में सुधार होगा। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तर-पूर्व में बारिश की कमी दूर होगी। सितंबर के शेष दिनों में बारिश का पैटर्न देश के पूर्वी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में गरज के साथ हावी रहेगा। इस अवधि में सामान्य से बहुत अधिक बारिश होने की उम्मीद नहीं है।
[ad_2]
Source link