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संकल्प : मां की सेवा के लिए मुंबई से मुंह मोड़ सौरभ बने अधिकारी, हौसलों से लिख दी नई इबारत

संकल्प : मां की सेवा के लिए मुंबई से मुंह मोड़ सौरभ बने अधिकारी, हौसलों से लिख दी नई इबारत

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Saurabh turned away from Mumbai to serve his mother, became an officer, wrote a new letter with courage

सौरभ तिवारी।
– फोटो : अमर उजाला।

विस्तार


मशहूर शायर मुनव्वर राना का कहा ‘मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं, सिर्फ इक कागज पे लिक्खा लफ्ज-ए-मां रहने दिया’, नैनी स्थित एडीए कॉलोनी में रहने वाले सौरभ तिवारी ने करके भी दिखाया। अभिनय और निर्देशन के क्षेत्र में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए सौरभ ने मां की देखभाल और उनके सपनों को पूरा करने के लिए न सिर्फ मायानगरी मुंबई में मुंह मोड़ा, बल्कि नया मुकाम भी हासिल कर लिया।

सौरभ की कामयाबी से मां खुश तो थीं, लेकिन उनकी इच्छा थी कि पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे सौरभ सरकारी अफसर बनें। मूल रूप से बड़हलगंज, गोरखपुर से जुड़े तिवारी परिवार में बेटियों सीमा, वंदना और अर्चना के बाद जब वर्ष 2019 में सबसे छोटी बहन श्वेता की भी शादी हो गई और सौरभ मुंबई लौटने लगे तो मां की एक मनुहार ने उनकी राह रोकते हुए नई मंजिल तय कर दी।

सौरभ को लगा कि मां अब अकेली रह जाएंगी, उनकी देखभाल कौन करेगा? सरकारी अफसर भी बनना था। सो, फिल्मों के आठ बरस के कामयाब सफर को अंतिम प्रणाम करते हुए उन्होंने पहली बार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। नैनी के महर्षि विद्या मंदिर से दसवीं और कानपुर से बारहवीं करने के बाद अरसे से छूटी पढ़ाई फिर से शुरू करते हुए उन्होंने एसएससी सीजीएल की परीक्षा दी।

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