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हॉकी : कभी रहा स्वर्णिम युग, आज बदहाली का दौर

हॉकी : कभी रहा स्वर्णिम युग, आज बदहाली का दौर

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रामपुर। नवाबी दौर से ही रामपुर हॉकी में अपना परचम लहराता रहा है। यहां के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले। रामपुर के आखिरी नवाब रजा अली खां को हॉकी से इतना प्रेम था कि उन्होंने रामपुर स्टेट की अलग हॉकी टीम बनाई थी। इस टीम के दूसरे स्टेट से मुकाबले होते थे। आज उसी रामपुर में सुविधाओं के अभाव में दो-दो एस्ट्रोटर्फ मैदान होने के बावजूद हॉकी दम तोड़ती नजर आ रही है। इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो पता चलता है कि नवाबों को हॉकी से खास लगाव था। रामपुर के अंतिम नवाब रजा अली खां ने 1935 में अपनी हॉकी टीम बनाई थी। इतना ही नहीं 1936 में बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम के गोल्ड मेडल जीतने पर नवाब रजा अली खां ने टीम को इनाम के रूप में पांच सौ रुपये भी दिए थे। नवाब की टीम के कई खिलाड़ी देश के लिए भी खेले। रामपुर नवाब ने हॉकी खिलाड़ियों को खेलने के लिए एक दो नहीं बल्कि पांच मैदान दिए थे। इन मैदानों पर खेलकर खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाई।

अंतिम नवाब के बेटे के नाम पर बने हॉकी स्टेडियम की हालत जर्जर

रामपुर के आखिरी नवाब रजा अली खां के बेटे जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां के नाम पर पनवड़िया में हॉकी का एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम 1996 में बनवाया गया था। इस मैदान पर राष्ट्रीय स्तर के कई हॉकी टूर्नामेंट हुए। समय के साथ जिम्मेदारों की लापरवाही से स्टेडियम जर्जर हो गया और आज हॉकी खिलाड़ी घास के मैदान पर अभ्यास को मजबूर हैं। हालांकि, कुछ समय पहले इस स्टेडियम की हालत सुधारने के लिए सरकार ने आठ करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इसके बाद काम शुरू किया गया है।

हॉकी में खूब चमके रामपुर के ये खिलाड़ी

उस्मान नूर उर्फ संजय खान, अनीस उर रहमान खां, इकबाल अली बेग, मुमताज खां बाबुल, लड्डन खां, महफूज उर रहमान खान, आरिफ खान मुख्तार खां, वकार खां, इमरान उर रहमान खां ने हॉकी में रामपुर का नाम राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर तक रोशन किया।

नवाब ने गिफ्ट में दिए थे हॉकी खिलाड़ियों को मैदान

नवाब ने हॉकी खेलने के लिए खिलाड़ियों को पांच मैदान दिए थे। इनमें रुहेला टाइगर क्लब मैदान गांधी समाधि, स्टुडेंट हॉकी क्लब रजा डिग्री काॅलेज के पास, यंग मैन हॉकी क्लब, गांधी स्टेडियम, माला सिनेमा रोड स्थित चैंपिनय हॉकी क्लब शामिल हैं।

हॉकी देश का गौरव है। आजादी से पूर्व रियासतों में हॉकी का बहुत महत्व था और भारतीय गणराज्य में विलय के बाद भी राजपरिवारों ने हॉकी को बढ़ावा देने का कार्य किया। रामपुर रियासत में भी हॉकी को नई ऊंचाई पर ले जाने किया प्रयास किए गए। रामपुर में कई राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी भी रहे। दो एस्ट्रोटर्फ मैदान अब भी हैं, लेकिन उनकी बदहाली देखकर काफी बुरा लगता है। मेरे पिता के नाम पर बना एस्ट्रोटर्फ भी बर्बाद हो चुका है। सरकार को खेलों की दशा सुधारने के लिए गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

– नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां, पूर्व मंत्री।

रामपुर में हाॅकी का इतिहास रहा है। रामपुर नवाब रजा अली खां को हॉकी से काफी प्रेम था। उन्होंने 1939 में रुहेला टाइगर क्लब को नवाब गेट के पास स्थित हाॅकी मैदान दिया था। अब स्थिति खराब हो गई है। हाॅकी खिलाड़ी परेशान हैं। हॉकी स्टेडियम की हालत सुधरनी चाहिए।

इकबाल खां, पूर्व राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी एवं रिटायर्ड आयकर अधिकारी

रामपुर के हॉकी के गौरव और इतिहास को देखकर ही हमारे अंदर भी देश के लिए कुछ करने की तमन्ना जगी थी, लेकिन सुविधाओं ने हर मोड़ पर परीक्षा ली। बिना एस्ट्रोटर्फ के ही खेला और खेल कर नेशनल तक पहुंचे। आज खिलाड़ियों को दोगुना संघर्ष करना पड़ रहा है।

-योगिता बोरा, नेशनल हॉकी खिलाड़ी

रामपुर में हॉकी का इतिहास पढ़ने को मिलता है। काफी अच्छा महसूस होता है कि हम राष्ट्रीय खेल के खिलाड़ी हैं, लेकिन सरकारी व्यवस्थाओं से हार जाते हैं। सरकार और विभाग अगर खेल प्रतिभाओं की ओर ध्यान दे तो रामपुर का नाम विश्व पटल पर चमक सकता है।

-रजा हसनैन, हॉकी खिलाड़ी

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