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कवि गोष्ठी में कवि और कवियत्री
– फोटो : रूपेश कुमार
विस्तार
अमर उजाला मां तुझे प्रणाम के तहत शनिवार को तालानगरी स्थित अमर उजाला कार्यालय में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता एएमयू के हिंदी विभाग के शिक्षक प्रो. शंभूनाथ तिवारी ने की, जबकि संचालन शायर जॉनी फॉस्टर ने किया।
प्रो. शंभूनाथ तिवारी ने सुनाया-बस्तियां उजड़ी हुई आबाद हो सकती तो हैं, आ न जाए फिर कोई वहशी जलाने के लिए, भूलकर नफरत अगर आपस में मिल जाएं गले, इससे बेहतर कुछ नहीं दोनों घराने के लिए, गांव से सहरा जमीं से आसमां तक का सफर, क्या नहीं करता परिंदा एक दाने के लिए।
शायर जॉनी फॉस्टर ने सुनाया- खुदा ने दी है जो हमको वही पहचान रहने दो, हम इंसा हैं, फकत इंसा हमें इंसान रहने दो।शायरा रिहाना शाहीन ने देशभक्ति से प्रेरित शेर सुनाया- इस तरह मां के दूध की कीमत चुकाई है, हमने कभी तिरंगे को झुकने नहीं दिया, खुद तो वतन की आन पे हम मिट गए मगर, सिंदूर उसकी मांग का मिटने नहीं दिया।
कवयित्री डॉ. मंजू शर्मा वनिता ने सुनाया-क्या भारत देश वही है, हम जिस पर कुर्बान हुए थे, हंसते-हंसते फांसी चढ़कर हम जिस पर बलिदान हुए थे। माटी पूछ रही जन-जन से नेताओं से प्रशासन से क्या भीगी आंखों का सपना सपना हो जाएगा। टीकाराम कन्या महाविद्यालय की हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. मिश्कात आबिदी ने सुनाया- वायु वेग से नभ में लहराते झंडे का मान करो, कितने बलिदानों से पाया यह गौरव तुम ध्यान करो, एक शक्ति बन झुका दिया था देश प्रेमियों ने गोरों को, हिला दिया संकल्प शक्ति से कायर और लुटेरों को।
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