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![हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी : सनक और मनमर्जी से अधिकारी कर रहे गुंडा एक्ट का दुरुपयोग, नोटिस किया निरस्त Officers are misusing the Gunda Act on whim and arbitrariness, notice canceled](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2022/05/27/750x506/prayagraj-news-ilhabtha-haiikarata_1653665947.jpeg?w=414&dpr=1.0)
इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यूपी के कार्यकारी अधिकारी अपनी सनक और मनमर्जी से गुंडा एक्ट की असाधारण शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। वे एक मुकदमे या कुछ बीट रिपोर्ट पर ही नोटिस जारी कर रहे हैं। यह निवारक अधिनियम को कुंद बनाने जैसा है। कोर्ट ने यूपी सरकार को 31 अक्तूबर तक एक गाइडलाइन जारी करने का निर्देश दिया है, ताकि कार्रवाई में एकरूपता आ सके। कोर्ट ने अलीगढ़ के एडीएम वित्त एवं राजस्व की ओर से 15 जून-23 को जारी कारण बताओ नोटिस भी रद्द कर दिया है।
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने बुधवार को अलीगढ़ के गावेर्धन की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया। कहा, इस गाइडलाइन का अधिकारियों द्वारा गंभीरता से पालन किया जाए, ताकि इसके अनुपालन में एकरूपता रहे। कोर्ट ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को भी निर्देश दिया है कि वह आदेश की कॉपी प्रदेश के सभी कार्यकारी अधिकारियों को भेजकर प्रसारित कराएं, जिससे आदेश का सख्ती से अनुपालन हो सके।
कोर्ट ने कार्यकारी अधिकारियों से यह उम्मीद भी जताई कि प्रस्तावित गुंडा एक्ट की कार्रवाई से पहले जनता के बीच उनकी छवि, सामाजिक व पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बताएंगे। इसके बाद निर्धारित प्रोफार्मा के बजाय सुविचारित आदेश पारित करेंगे। निष्कासन का आदेश भी तर्कसंगत होना चाहिए। कोर्ट ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों और उनके अधीनस्थ कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उसी के खिलाफ कार्रवाई करें, जिसके विरुद्ध ठोस आधार हो कि वह समाज के लिए दुष्ट है और उसका निष्कासन जरूरी है।
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