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Study: बड़ी चिंता- साल 2050 तक 100 करोड़ से अधिक हो सकते हैं इस रोग के मामले, महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

Study: बड़ी चिंता- साल 2050 तक 100 करोड़ से अधिक हो सकते हैं इस रोग के मामले, महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

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वैश्विक स्तर पर जिन बीमारियों का जोखिम काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, डायबिटीज और हृदय रोग उनमें से एक हैं। इस बीच एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक और बीमारी के बढ़ते खतरे को लेकर अलर्ट किया है। द लैंसेट रुमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चिंता जताते हुए कहा है कि जिस तरह से दुनियाभर में ऑस्टियोआर्थराइटिस रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में आशंका है कि साल 2050 तक एक बिलियन (100 करोड़) से अधिक लोग इस रोग के शिकार हो सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने बताया कि 30 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 15 प्रतिशत लोग वर्तमान में गठिया के साथ जी रहे हैं, आने वाले वर्षों में यह संख्या और भी अधिक हो सकती है।

200 से अधिक देशों में 30 वर्षों के ऑस्टियोआर्थराइटिस डेटा (1990-2020) के विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2021 के अंतर्गत अमेरिका में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में टीम ने यह शोध किया। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को इस बढ़ते रोग से बचाव के लिए प्रयास करते रहने की आवश्यकता है।

तेजी से बढ़े हैं मामले

ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया का सबसे आम रूप है और गठिया जोड़ों की सूजन और दर्द की समस्या है।ऑस्टियोआर्थराइटिस दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब हड्डियों के सिरों को सहारा देने वाले सुरक्षात्मक कार्टिलेज समय के साथ खराब होने लग जाते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक साल 1990 में, 256 मिलियन लोगों को ऑस्टियोआर्थराइटिस था जो 2020 तक बढ़कर 595 मिलियन हो गई। ये 132 प्रतिशत की वृद्धि है। शोधकर्ताओं ने कहा कि 2050 तक यह संख्या एक अरब के आंकड़े तक पहुंचने की आशंका है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस के बढ़ने के कारण

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अध्ययन में ऑस्टियोआर्थराइटिस के बढ़ने के लिए जिन कारणों को प्रमुख बताया है उनमें उम्र बढ़ना, जनसंख्या विकास और मोटापा शीर्ष पर है। शोधपत्र के लेखक और आईएचएमई के प्रमुख वैज्ञानिक जैमी स्टीनमेट्ज कहते हैं, वैश्विक स्तर पर बढ़ते इस रोग के जोखिम को देखते हुए हमें बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। 

ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम रोकथाम, शीघ्रता से इसके निदान और उपचार पर ध्यान दें। 

महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

वैज्ञानिकों की टीम का कहना है, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस रोग का खतरा अधिक होता है। 2020 में, ऑस्टियोआर्थराइटिस के 61 प्रतिशत मामले महिलाओं में थे जबकि पुरुषों का आंकड़ा सिर्फ 39 प्रतिशत था। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के वरिष्ठ लेखक और प्रोफेसर जेसेक कोपेक कहते हैं, ऑस्टियोआर्थराइटिस के प्रसार में लिंग अंतर के कारणों को समझने की कोशिश की जा रही है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि आनुवंशिकी, हार्मोनल कारक और शारीरिक अंतर इसमें भूमिका निभाते हैं।

ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के लिए क्या करें?

अध्ययन से पता चलता है कि मोटापा या हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) भी ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक हो सकती है। यदि वैश्विक आबादी में मोटापे को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए प्रयास किए जाएं तो ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा अनुमानित 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

नियमित व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाकर भी ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव किया जा सकता है। स्वस्थ भोजन, विशेषकर एंटी-इंफ्लामेटरी चीजों का सेवन करने से इस रोग से बचाव में मदद मिल सकती है।

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स्रोत और संदर्भ

Global, regional, and national burden of osteoarthritis, 1990–2020 and projections to 2050: a systematic analysis for the Global Burden of Disease Study 2021

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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