सावन के अंतिम सोमवार पर महादेव की नगरी काशी में महादेव के दर्शन को विश्वनाथ धाम में बाब भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा है। मंगला आरती के बाद काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के दरबार का पट खुला तो श्रद्धालुओं की खुशी देखते ही बन रही थी। विश्वनाथ धाम हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज रहा है। चप्पे-चप्पे की चौकसी के बीच रेड कार्पेट से होकर भक्तों के दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात तक जारी रहेगा। ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ की झांकी का श्रृंगार आज शाम भोग आरती से पहले सर्वाधिक प्रिय रुद्राक्ष से किया जाएगा। इससे पहले बाबा के गर्भगृह से लेकर पूरे मंदिर परिसर को रुद्राक्ष और फूल-मालाओं से सजाया गया। सजावट के लिए नेपाल से पांच क्विंटल रुद्राक्ष आया। हर महादेव का उद्घोष ऐसा मानो कण-कण शिव तत्व से आलोकित हो उठा। काशी विश्वनाथ धाम परिसर में इस अद्भुत सजावट ने शिव भक्तों का मन मोह लिया।
श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद पहली बार पूरे मंदिर परिसर की सजावट रुद्राक्ष से की गई है। रविवार को शयन आरती के बाद मंदिर के रोहित माली ने सजावट का काम शुरू किया। मंदिर की दीवारों से लेकर चौखट को पूरे मनोयोग से रुद्राक्ष से सजाया।
श्री काशी विश्वनाथ, ताड़केश्वर महादेव और दंडपाणि समेत पूरा परिसर रुद्राक्ष के दानों से सजकर तैयार है। मंदिर परिसर को सजाने के लिए दानदाता शिवांश शर्मा ने नेपाल से रुद्राक्ष मंगवाया है। रविवार की दोपहर के बाद तीस बोरी रुद्राक्ष की मालाएं धाम में पहुंची।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि में सावन के आठ सोमवार पर भगवान के अलग-अलग स्वरूप में दर्शन हो रहे हैं और यह पहला मौका था। 10 जुलाई को पहले सोमवार पर बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा का श्रृंगार, दूसरे सोमवार को गौरी-शंकर स्वरूप में श्रृंगार, तीसरे सोमवार को अमृत वर्षा श्रृंगार और चौथे सोमवार को बाबा का भागीरथी श्रृंगार हुआ।
पांचवें सोमवार को तपस्यारत पार्वती श्रृंगार, छठवें सोमवार को शंकर-पार्वती और गणेश श्रृंगारऔर सातवें सोमवार को अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में भगवान शिव ने भक्तों को दर्शन दिए।