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![Major Dhyan Chand: खेल महकमे के "आत्मघाती गोल", जिनसे हार रहे हॉकी खिलाड़ी भHockey magician Major Dhyan Chand Jayanti](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2020/02/26/750x506/_1582694405.jpeg?w=414&dpr=1.0)
मेजर ध्यानचंद
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की आज जयंती है। हर साल की तरह इस बार भी आयोजन होंगे। लंबी-चौड़ी बातें होंगी, मगर उन बातों को हकीकत में बदलने के लिए कोई पहल नहीं होगी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को छोड़ दें तो जिले में हॉकी का एक भी मैदान नहीं है, जहां पर खिलाड़ी अपने खेल को निखार सकें। ऐसा नहीं हैं कि अलीगढ़ में प्रतिभाओं की कमी है, मगर खेल महकमे की अनदेखी का खामियाजा हॉकी खिलाड़ी भुगत रहे है। यदि उन्हें सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय प्रशिक्षण मिले तो वह भी मेजर ध्यानचंद की तरह दुनियाभर में तिरंगा लहरा सकते हैं।
महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्पोर्ट्स स्टेडियम में एक ही मैदान पर हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स, क्रिकेट सहित अन्य खेल होते हैं। हॉकी या अन्य खेलों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। अभ्यास के दौरान खिलाड़ियों को शॉट, हिट या किक से चोट लगने का भय रहता है। इस वजह से वह अपना स्वाभाविक खेल नहीं खेल पाते हैं। स्टेडियम में संसाधनों की भी कमी है। खिलाड़ियों का कहना है कि यदि सुविधाएं और अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाए तो हम भी पदक जीत सकते हैं।
खिलाड़ी बोले
खेल विभाग की ओर से सुविधाएं मिलें तो हॉकी में भी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकते हैं।– सलमान, हॉकी खिलाड़ी
स्टेडियम में एक ही मैदान है, यहां अन्य खेलों के खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करना पड़ता है। यदि अलग मैदान हो तो हमारे खेल में और निखार आएगा। – सुजीत कुमार, हॉकी खिलाड़ी
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