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देश के जाने-माने नाटककार रहे दिवंगत हबीब तनवीर की जन्मशती के मौके पर उनके नाटक ‘चरणदास चोर’ पर फिल्म बनाने का एलान हुआ है। नाटक से संबंधित तमाम बौद्धिक संपदा अधिकार पाने की कार्यवाही पूरी हो चुकी है और जल्द ही इसकी शूटिंग शुरू कर देने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। फिल्म में शीर्षक किरदार के लिए हिंदी फिल्म जगत के कई महत्वपूर्ण सितारों से बात चल रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इसका एलान कर दिया जाएगा। गौरतलब ये भी है कि ‘चरणदास चोर’ नाम से एक फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगेल 1975 में मशहूर कथालेखक विजयदान देथा की कहानी पर बना चुके हैं जिसमें हबीब तनवीर ने अभिनय किया था। इसी नाम से एक फिल्म मराठी में भी 2017 में बन चुकी है।
रंगमंच की दुनिया में एक मास्टर पीस का दर्जा रखने वाले नाटक ‘चरणदास चोर’ का निर्देशन हबीब तनवीर ने साल 1975 में किया था। बाद में इस नाटक को एंडिनबर्ग फ्रिंग फेस्टिवल में प्रतिष्ठित फ्रिंग फ़र्स्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इस कालजयी रचना ने दुनिया भर के दर्शकों का दिल जीतने में कामयाबी हासिल की और इसमें की गईं सामाजिक टिप्पणियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक बनीं हुईं हैं।
नाटकों के इतिहास में ‘चरणदास चोर’ की अपनी एक बेहद ख़ास जगह है। इस नाटक को हबीब तनवीर के सशक्त निर्देशन और कहानी को बयां करने के उनके अद्भुत कौशल के लिए भी जाना जाता है। इस नाटक में पेश किया गया हास्यबोध और सामाजिक व्यवस्था को लेकर किये गये कटाक्ष का असर इतने सालों बाद आज भी कम नहीं हुआ है। ऐसे में इस नाटक को आज की तारीख़ में सिनेमाई पर्दे के लिए एडॉप्ट किया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इस नाटक के धारदार संवाद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले हुआ करते थे।
इस फिल्म को बनाने जा रही कंपनी कार्मिक फिल्म्स के सह-संस्थापक सुनील वाधवा कहते हैं, “हम ‘चरणदास चोर’ को एक फीचर फिल्म के रूप में सिनेमा के पर्दे पर लाने को लेकर बेहद रोमांचित महसूस कर रहे हैं। यह एक ऐसी कहानी है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों द्वारा पसंद की जाती रही है। ऐसे में हम इस कहानी को पर्दे पर और भी समृद्ध तरीके से पेश करने के लिए आतुर हैं। आज के आधुनिक युग में ‘चरणदास चोर’ को पर्दे पर लाने का मौका मिलना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।”
कार्मिक फिल्म्स के दूसरे सह-संस्थापक और लेखक कुंदन जज ने इस मौके पर कहा, “हम अपने रचनात्मक लिबास पर दिग्गज रचनाकार हबीस तनवीर की महीन कारीगरी को लेकर बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। निश्चित तौर पर सभी उम्र के दर्शकों को सिनेमा के पर्दे पर ‘चरणदास चार’ का जादुई अंदाज़ देखने को मिलेगा। इस कहानी को एडॉप्ट किये जाने से अर्थपूर्ण कहानी की तलाश करने वाली प्रतिभाओं को एक बढ़िया कहानी मिल गयी है तो वहीं अर्थपूर्ण मनोरंजन की तलाश करने वाले दर्शकों को एक उम्दा किस्म की फिल्म देखने को मिलेगी।”
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