[ad_1]
![Aditya-L1: आदित्य-एल1 ने पांचवीं और आखिरी बार सफलतापूर्वक बदली कक्षा, एल1 प्वाइंट की ओर बढ़ा स्पेसक्राफ्ट Aditya L1 successfully changed orbit for the fifth Time spacecraft moved towards L1 point](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/09/05/aditya-l1-mission_1693865431.jpeg?w=414&dpr=1.0)
Aditya-L1 Mission
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 ने पांचवीं बार कक्षा बदलने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। आदित्य-एल1 अब सूर्य और पृथ्वी के बीच एल1 प्वाइंट की ओर बढ़ गया है।
पहले चार बार हो चुका है अर्थ-बाउंड फायर
इससे पहले, आदित्य-एल1 ने चौथी बार 15 सितंबर को सफलतापूर्वक कक्षा में बदलाव किया था। थ्रस्टर फायर के कुछ समय बाद ही इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। वहीं, इसरो ने 10 सितंबर को रात करीब 2.30 बजे तीसरी बार आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की कक्षा बदली थी। तब इसे पृथ्वी से 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में भेजा गया था। तीन सितंबर को आदित्य एल1 ने पहली बार सफलतापूर्वक कक्षा बदली थी। इसरो ने सुबह करीब 11.45 बजे बताया था कि आदित्य एल-1 की अर्थ बाउंड फायर किया था, जिसकी मदद से आदित्य एल1 ने कक्षा बदली। वहीं, इसरो ने दूसरी बार पांच सितंबर को अपनी कक्षा बदली थी। इसरो ने ट्वीट कर इसकी भी जानकारी दी थी। वहीं, कक्षा बदलने का चौथा अभ्यास 15 सितंबर को लगभग 02:00 बजे निर्धारित किया गया है। इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 16 दिन पृथ्वी की कक्षा में बिताएगा। इस दौरान पांच बार आदित्य-एल1 की कक्षा बदलने के लिए अर्थ बाउंड फायर किया जाएगा।
इसी महीने हुई थी लॉन्चिंग
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने दो सितंबर को भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग की थी। इसरो ने पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से हुई थी। यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा।
15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य-एल1
जानकारी के अनुसार, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
तारों के अध्ययन में सबसे ज्यादा मदद करेगा
इसरो के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है। यह तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है। इससे मिली जानकारियां दूसरे तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी। हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है। आदित्य एल1 वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं होता।
[ad_2]
Source link