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प्रज्ञान रोवर की खास बात यह थी कि इसके पहियों पर भारतीय प्रतीक चिन्ह और इसरो का लोगो लगा था। यह इसलिए लगाया गया था कि जब यह चांद की सतह पर चलेगा, तो भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अशोक स्तम्भ और इसरो के लोगो के निशान को छोड़ेगा, लेकिन प्रज्ञान रोवर इसमें कामयाब नहीं हुआ है। चांद की सतह पर बने निशान उतने स्पष्ट नहीं बने जितनी उम्मीद थी। लेकिन यह चिंता करने वाली बात नहीं है, बल्कि अच्छी खबर है।
दरअसल, चांद की मिट्टी बहुत अधिक धूल भरी नहीं है, लेकिन वह ढेलेदार है। इससे पता चलता है कि वहां पर कुछ ऐसे तत्व हैं, जिससे मिट्टी बंध जाती है और वह उनका ढेला बन जाता है। शिव शक्ति प्वाइंट के आसपास प्रज्ञान रोवर 105 मीटर चल चुका है। बीते करीब 18 दिनों से रोवर सो रहा है जिसे इसरो जगाने की कोशिश कर रहा है।
प्रज्ञान रोवर में दो पेलोड्स लगाए हैं। एक है लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप, जो एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करने के लिए हैं। उदाहरण के तौर पर मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा। अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर दूसरा प्लेड है, जो चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करने के लिए लगा है। इसके अलावा खनिजों की खोज के लिए है।
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