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![भाजपा ने बदली रणनीति: अब चुनावी राज्यों में सीएम चेहरा नहीं करेगी पेश, सामूहिक नेतृत्व पर दांव की तैयारी BJP changed strategy: Now CM face will not present in election, party preparing bet on collective leadership](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/06/09/bjp-flag_1686254680.jpeg?w=414&dpr=1.0)
भाजपा (सांकेतिक तस्वीर)।
– फोटो : ANI
विस्तार
आगामी लोकसभा चुनाव के फाइनल से पहले का सेमीफाइनल मुकाबला माने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा किसी राज्य में मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं करेगी। मध्यप्रदेश में इस आशय का संकेत देने के बाद पार्टी ने दूसरे चुनावी राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है। इन सभी राज्यों में इसी साल चुनाव होने हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि साल 2014 में भाजपा में मोदी युग की शुरुआत के बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी को सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर ही अधिक सफलता मिली है। इस रणनीति के आधार पर पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और करिश्मे का बेहतर इस्तेमाल कर पाई है। यही कारण है कि पार्टी ने सभी चुनावी राज्यों में किसी एक स्थानीय चेहरे पर भरोसा नहीं करने का फैसला किया है।
सामूहिक नेतृत्व इसलिए…पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनावी राज्य में पार्टी के पास अलग-अलग राज्यों में ऐसे इकलौते चेहरे की कमी है, जिसके जरिए चुनाव जीता जा सके। चेहरा पेश करने के कारण गुटबाजी शुरू होने का खतरा अलग से है। फिर स्थानीय चेहरे को आगे करने के कारण पार्टी को विधानसभा चुनावों में ज्यादातर राज्यों में मत प्रतिशत और परिणाम के हिसाब से नुकसान ही उठाना पड़ा है।
यूपी से शुरू हुआ सिलसिला
पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि साल 2017 में उत्तर प्रदेश में पार्टी को सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का लाभ मिला। 2014 के तत्काल बाद पार्टी हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र में भी पार्टी ने सीएम उम्मीदवार घोषित किए बिना जीत हासिल की। इसके बाद पार्टी ने पहली बार असम में सर्वानंद सोनोवाल के सीएम रहते सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा। त्रिपुरा में भी यही स्थिति थी। पार्टी को इसका लाभ भी मिला।
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