[ad_1]
रामपुर। गांव से लेकर शहर तक हर ओर आवारा कुत्तों का आतंक है। आठ माह में जिले में कुत्तों ने 12 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा। इसमें कई लोगों की जान भी चली गई। डॉक्टरों के अनुसार कुत्तों के काटने के अलावा उसके चाटने से भी रेबीज होने की संभावना रहती है। रेबीज तब फैल सकता है जब कुत्ते की लार किसी व्यक्ति के खुले घाव, मुंह अथवा आंखों में चली जाती है।रेबीज कुत्तों के अलावा बंदर, बिल्ली, सुअर, लोमड़ी, घोड़ा के काटने से भी हो सकता है। हालांकि कुत्ते, बंदर के अलावा अन्य जानवर के काटने के मामले बहुत कम हैं। जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट शमीम ने बताया कि हर रोज औसतन 50 लोग वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचते हैं। अधिकतर शहर या आसपास के क्षेत्रों के होते हैं। गांव-देहात में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध हैं। सीएचसी पर हर रोज औसतन 20 लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है। पिछले आठ माह में जिले भर में 12 हजार लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इनमें अकेले जिला अस्पताल में आठ हजार लोगों ने वैक्सीन लगवाई। कुत्तों का बढ़ता आतंक नसबंदी न होना है।
कुत्तों के अलावा बंदर, बिल्ली, सुअर, लोमड़ी, घोड़ा आदि के काटने या फिर इनकी लार के संपर्क में आने पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए। पहला इंजेक्शन 72 घंटे के अंदर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद और पांचवां 28 दिन बाद लगाया जाता है। रेबीज से बचाव के लिए सभी डोजों को निर्धारित समय पर लेना आवश्यक होता है।
[ad_2]
Source link