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![Washington: जयशंकर ने साझा किया चंद्रयान-3 की सफलता का किस्सा, भारतीय वैज्ञानिकों को दिया सफलता का श्रेय Jaishankar shared the story of Chandrayaan 3 success in USA gave credit for success to Indian scientists](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/04/26/s-jaishankar_1682500405.jpeg?w=414&dpr=1.0)
S Jaishankar
– फोटो : Social Media
विस्तार
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में चंद्रयान-3 की सफलता के लिए भारत के वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 के लिए वैज्ञानिकों की दृढ़ता आश्चर्यजनक थी। बता दें, विदेश मंत्री जयशंकर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल हुए थे। इसके अलावा उन्होंने अन्य कार्यक्रमों में भी शिरकत की।
दक्षिण अफ्रीका में होने के बाद भी पीएम मोदी इसरो के संपर्क में थे
विदेश मंत्री जयशंकर रविवार को वाशिंगटन पहुंचे। यहां उन्होंने इंडिया हाउस में भारतीय अमेरिकियों की सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि 23 अगस्त को भारत में क्या हो रहा था, जब चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लैंडिंग के दौरान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थे। बावजूद इसके पीएम मोदी ने चंद्रया-3 के लिए समय निकाला। पीएम मोदी लगातार इसरो के संपर्क में थे। यह पल भारत के लिए काफी तनावपूर्ण था। लेकिन पीएम मोदी आश्वस्त थे। वे लगातार इसरो प्रमुख को आश्वसन दे रहे थे। फिर जैसे ही चांद मिशन ने सफलतापूर्वक लैंडिंग की वैसे ही पीएम ने इसरो टीम से बात की और उन्हें बधाई दी।
विदेश दौरे के बाद सीधा बंगलूरू पहुंचे
इसरो की सफलता के बाद पीएम मोदी ने तय किया कि वे दक्षिण अफ्रीका से सीधा नई दिल्ली जाने के बजाये बंगलूरू जाएंगे। चूंकि मैं पीएम मोदी के साथ दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर था, इसलिए मुझे भी सीधा बंगलूरू जाने का मौका मिला। पीएम मोदी ने इसरो में जहां वैज्ञानिकों से मुलाकात की, वहां करीब 1000 लोग मौजूद थे। वे सभी लोग सामान्य दिखते थे। लेकिन आप सोच नहीं सकते थे कि वे कितने खास थे।
वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास आज भी याद है
जयशंकर ने कहा कि मैं जब वैज्ञानिकों के साथ था, तो मैंने उनसे पूछा था कि वे लोग कितने तनाव में थे। लैंडिंग को लेकर क्या वे चिंतित थे। लेकिन उनके जवाब में आत्मविश्वास था। वे आश्वस्त थे। उनका दृढ़ विश्वास अद्भुत था। उनका विश्वास आज भी मेरे दिमाग में बसा हुआ है। उनके विश्वास के कारण ही भारत चांद पर पहुंचने वाला विश्व का चौथा देश बन सकता। उनके विश्वास के कारण ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन सका।
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