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UP: बिगड़ती जीवन शैली और खराब खान-पान पैदा कर रहा टीबी रोगी, 15 से 30 वर्ष के युवाओं की संख्या अधिक

UP: बिगड़ती जीवन शैली और खराब खान-पान पैदा कर रहा टीबी रोगी, 15 से 30 वर्ष के युवाओं की संख्या अधिक

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उत्तर प्रदेश के एटा में चिकित्सकों का कहना है कि युवाओं की बदलती जीवन शैली उन्हें बीमारियों का शिकार बना रही है। युवाओं के खानपान में बदलाव हुआ है। इसके साथ कई युवा धूम्रपान, शराब आदि का सेवन करते हैं। ऐसे में उनके फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। टीबी का बैक्टीरिया ऐसे लोगों को आसानी से शिकार बना लेता है और लोग टीबी की चपेट में आ जाते हैं।

एक ओर टीबी को देश से भगाने की बात चल रही है। इसके लिए लगातार केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा लगातार योजनाएं भी संचालित की जा रहीं हैं जिससे वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त किया जा सके। यहां तक कि मरीजों के खान-पान के लिए भी 500 रुपये प्रतिमाह सरकार द्वारा दिए जा रहे हैं। इस सबके बावजूद युवा लगातार टीबी का शिकार हो रहे हैं। 

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इसका प्रमुख कारण फास्ट फूड सहित शराब, सिगरेट, तंबाकू का सेवन करना है। आज के दौर में युवा इन सबका अधिक सेवन करने लगे हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और फेफड़े भी कमजोर हो जाते हैं। टीबी का बैक्टीरिया ऐसे व्यक्तियों को आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है।

डीटीओ डॉ. राजेश शर्मा ने बताया टीबी का रोगी खांसता-छींकता है तो बैक्टीरिया हवा में पहुंच जाता है। जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। वह उसे अपना शिकार बना लेता है। आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में जनवरी से अब तक 4854 टीबी के रोगी सामने आए हैं। इसमें से 3033 टीबी रोगियों का उपचार चल रहा है। जबकि 1821 टीबी रोगियों का उपचार पूरा हो चुका है। 

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वहीं 1615 रोगी युवा हैं। जिनकी उम्र 15 से 30 वर्ष तक है। जबकि 14 वर्ष तक की उम्र के टीबी के रोगियों की संख्या 1012 है। वहीं 60 वर्ष से अधिक उम्र के 526 टीबी के रोगी हैं। 31 से 45 वर्ष तक के 867 व 46 से 60 वर्ष तक के 824 टीबी के रोगी जिले में हैं।

एमडीआर के हैं 84 मरीज

जिले में टीबी रोगियों की बात करें तो वर्तमान में 3033 रोगियों का उपचार चल रहा है। इसमें से 84 मरीजों को एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी है। यह टीबी खतरनाक होती है। इन मरीजों का उपचार नौ से 11 माह तक चलता है।

53 मरीजों ने छोड़ी दवा

जिले में इस वर्ष 53 मरीज टीबी के ऐसे हैं, जिन्होंने बीच में ही दवा छोड़ दी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों से संपर्क किया गया, लेकिन वह टीबी की दवा खाने को तैयार ही नहीं है। वहीं जनवरी से अब तक जिले में 74 टीबी रोगियों की मौत भी हो चुकी है। जबकि वर्ष 2022 में 99 टीबी के रोगियों की मौत हुई थी।

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जिले में 3033 टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है। मरीजों की लगातार निगरानी भी की जा रही है। युवा अधिक टीबी का शिकार हो रहे हैं। कहीं न कहीं बदलती जीवन शैली सहित तंबाकू के सेवन से यह रोग युवाओं में हो रहा है। -डॉ. राजेश शर्मा, डीटीओ

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