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रामपुर।
धान कटाई के बाद पराली में आग लगाने वाले किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा। ऐसे में किसान भूलकर भी पराली को आग के हवाले न करें। इस संबंध में कृषि विभाग की ओर से दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं। खेतों में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश के लिए सेटेलाइट से निगरानी की जा रही है।
उप कृषि निदेशक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि किसान धान की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को अक्सर आग के हवाले कर देते हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। इसके साथ ही मिट्टी में मौजूद उपयोगी कीट नष्ट हो जाते हैं और जीवांश कार्बन भी कम हो जाता है। ऐसे में किसानों के लिए पराली जलाने की जरूरत नहीं, बल्कि उसे जुताई कर खेतों में ही मिलाने की आवश्यकता है। ऐसा करने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।
अगर किसी किसान ने भूलकर भी पराली को जला दिया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग की ओर से निगरानी की जा रही है। अगर कोई किसान पराली जलाते हुए पकड़ा जाता है तो उससे जुर्माना वसूल किया जाएगा। बताया कि दो एकड़ से कम क्षेत्रफल के किसानों द्वारा पराली जलाने पर 2500 रुपये का जुर्माना लगेगा। दो एकड़ से पांच एकड़ तक के क्षेत्रफल वाले किसान अगर पराली जलाते हैं तो पांच हजार एवं पांच एकड़ से अधिक एरिया वाले किसान पराली जलाते हैं तो 15 हजार का जुर्माना पड़ेगा। एक ही खेत में लगातार दो घटनाएं होने पर किसानों को सरकारी योजना के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा।
किसानों से पराली न जलाने की अपील की जा रही है। वहीं इसके बाद भी अगर किसी किसान पराली जलाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, साथ ही भूमि में जीवांश कार्बन कम हो जाते हैं। इसलिए किसान पराली न जलाएं।
-नरेंद्र पाल, जिला कृषि अधिकारी
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