[ad_1]
![Rampur Kartoos Kand: कोर्ट में दाखिल थी 2500 पेज की चार्जशीट, 85 पन्नों पर दर्ज है गुनहगारों की पूरी करतूत Rampur Kartoos Case: 2500 page charge sheet was filed court, actions criminals were recorded 85 pages](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/10/14/rampur-cartridge-case_1697272213.jpeg?w=414&dpr=1.0)
रामपुर कोर्ट से बाहर आते कारतूस कांड के दोषी
– फोटो : संवाद
विस्तार
वर्दीधारियों ने पूरे कारतूस कांड को किस तरह से अंजाम दिया था इसकी पूरी कहानी 85 पेज के कोर्ट के फैसले में दी गई है। पुलिस ने कोर्ट में लगभग 2500 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी। जिसमें सभी गुनहगारों के गुनाहों का विस्तार से उल्लेख किया था। कारतूस कांड में शुक्रवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 85 पेजों का फैसला सुनाया।
इन पेजों में सभी गुनाहगारों की करतूत साफ-साफ लिखी है। 13 साल तक पुराने इस केस में अभियोजन की ओर से नौ गवाह बनाए गए थे, जिसमें पुलिस के ही सभी गवाह थे। एसटीएफ के इंसपेक्टर और मुकदमे के वादी आमोद कुमार सिंह के साथ ही तत्कालीन सिविल लाइंस थाने के इंसपेक्टर रईसपाल सिंह,एसआई देवकी नंदन, एसआई शबाबुल हसन विवेचक के तौर पर पेश हुए।
हेड मोहर्रिर वीरेंद्र कुमार शर्मा ने गवाही दी। इसके अलावा एसटीएफ के राजकुमार, एसआई पवन कुमार गिरी, एडीजी जोन बरेली में तैनात इंसपेक्टर गीतेश कपिल, एसआई ध्यानपाल सिंह समेत नौ गवाहो के बयान दर्ज कराए गए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से सीआरपीएफ के सहायक कमाडेंट जितेंद्र कुमार मिश्रा ने ही गवाही दी।
इसके अलावा फैसले की कापी में कॉल डिटेल, बैंक खातों के ट्रांजेक्शन और आरोपियों से हुई बरामदगी का जिक्र किया गया है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय और हाईकोर्ट की विधि व्यवस्थाओं का भी जिक्र किया गया है। बचाव पक्ष और अभियोजन की दलीलें भी फैसले में उल्लेखित की गई हैं।
कारतूस कांड में नौ गवाहों को पेश किया गया था। सभी गवाहों ने घटना को साबित किया है। साथ ही दोषियों ने संगठित तरीके से अपराध किया है और उनके कब्जे से प्रतिबंधित हथियार, नगदी व डायरियां बरामद हुई हैं। अभियोजन ने इस मामले में मजबूत पैरवी की। – प्रताप सिंह मौर्य, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी
नक्सलियों को बस्ती से भी होती थी कारतूस की सप्लाई
नक्सलियों को कारतूस सप्लाई करने का मामला जिले से भी जुड़ा है। स्थानीय पुलिस लाइंस में तैनात तत्कालीन आर्मोरर रामकृपाल सिंह ने पुलिस के शस्त्रागार से भारी मात्रा में प्रतिबंधित बोर के कारतूस और मैगजीन चोरी करके नक्सलियों को भेजे थे।
यूपी एसटीएफ की टीम ने 30 अप्रैल 2010 को पुलिस लाइंस स्थित आवास से रामकृपाल सिंह को गिरफ्तार किया था। मौके से कारतूस भी बरामद किए थे। उस वक्त एसटीएफ के एसआई राजकुमार सिंह ने कोतवाली में रामकृपाल समेत 10 आरोपियों पर केस दर्ज कराया था। इस केस का ट्रायल चल रहा है।
[ad_2]
Source link