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सिनेमा की मोहब्बत के कारण भूले इंजीनियर बनने का सपना, ‘रोमांस के जादूगर’ बन किया इंडस्ट्री पर राज

सिनेमा की मोहब्बत के कारण भूले इंजीनियर बनने का सपना, ‘रोमांस के जादूगर’ बन किया इंडस्ट्री पर राज

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हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्माता और निर्देशक यश चोपड़ा ने इंडस्ट्री को कई हिट फिल्में दी हैं। बॉलीवुड में उनका नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है। अपने कई दशकों के लंबे करियर में उन्होंने एक से बढ़कर एक यादगार फिल्में दी हैं। यश चोपड़ा उन निर्देशकों में से एक हैं, जिन्होंने कई कलाकारों को स्टार बनाने में अहम योगदान दिया। बॉलीवुड के रोमांस के जादूगर के तौर पर यश चोपड़ा काफी मशहूर थे। आज उनकी पुण्यतिथि है। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें…



यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था। उनकी पढ़ाई लाहौर में हुई। 1945 में उनका परिवार पंजाब के लुधियाना में बस गया था। पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने इंजीनियर बनने का सपना देखा था। वह इंजीनियर बनना चाहते थे। वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लंदन भी जाने वाले थे, लेकिन उनकी किस्मत कहीं और लिखी हुई थी। इस दौरान उन्हें फिल्मों से प्यार हो गया और वह फिल्मों में करियर बनाने का सपना लिए बंबई (अब मुंबई) आ गए।


यश चोपड़ा मुंबई में अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा के पास पहुंच गए। उन्होंने बड़े भाई से फिल्म मेकिंग की बारीकियां सीखी, जिसके बाद उन्होंने साल 1959 में अपनी पहली फिल्म ‘धूल का फूल’ बनाई। निर्देशन में यश के करियर को रफ्तार मिली। उन्होंने कई हिट फिल्मों का निर्देशन किया। कई सफल फिल्मों के बाद 1973 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी यशराज फिल्म्स की स्थापना की। उन्होंने वक्त और इत्तेफाक जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। 1973 में रिलीज हुई फिल्म ‘दाग’ के लिए उन्होंने पहली बार सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर का खिताब अपने नाम किया। इसके दो साल बाद उन्होंने दीवार बनाकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया। फिल्म सुपरहिट साबित हुई साथ ही उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड भी मिला।

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अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान जैसे कलाकारों को स्टार बनाने में यश चोपड़ा ने बड़ी भूमिका निभाई है। 1975 में फिल्म ‘दीवार’ से उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की ‘एंग्री यंग मैन’ की छवि बनाई। ‘कभी-कभी’, ‘त्रिशूल’, ‘काला पत्थर’, ‘सिलसिला’ जैसी फिल्मों में उन्होंने अमिताभ बच्चन को काम करने का मौका दिया। जब अमिताभ का करियर डगमगाने लगा तो यश ने उन्हें अपने बैनर तले महोब्बतें में काम किया, जिसका निर्देशन उनके बेटे आदित्य चोपड़ा ने किया था। इसी तरह शाहरुख खान का करियर भी उन्होंने ही चमकाया। ‘डर’ ने रातों रात शाहरुख को स्टार बना दिया था। इसके बाद ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से शाहरुख की जो रोमांटिक हीरो की छवि बनी है, वह आज तक कायम है। शाहरुख के साथ यश ने ‘दिल तो पागल है’ और ‘वीर जारा’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं। शाहरुख के साथ यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म ‘जब तक है जान’ रही।

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यश चोपड़ा को रोमांटिक फिल्मों का जादूगर और किंग ऑफ रोमांस कहा जाता था। उनकी अंतिम फिल्म ‘जब तक है जान’ भी रोमांटिक फिल्म थी। 2012 में अपने 80वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने कहा था कि यह उनकी अंतिम फिल्म है और अब वह रिटायर होकर परिवार को वक्त देना चाहते हैं। उनके मुंह से निकली यह बात सच साबित हुई। यश चोपड़ा रिटायर तो हो गए, लेकिन परिवार को वक्त नहीं दे पाए। फिल्म की रिलीज से 23 दिन पहले 21 अक्टूबर, 2012 को डेंगू के चलते उनका निधन हो गया था।

 

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