[ad_1]
![Aditya L1: सूरज का रहस्य खोलेगा आदित्य एल-1 में लगा गोरखपुर के वागीश का उपकरण, DDU के रहे हैं छात्र device of Gorakhpur Dr Vagish installed in Aditya L 1 will reveal secret of sun](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/09/04/aathataya-el-1-ka-le-sayatara-tayara-karana-val-vajanianaka-da-vagasha-mashara_1693803086.jpeg?w=414&dpr=1.0)
आदित्य एल 1 के लिए संयंत्र तैयार करने वाले वैज्ञानिक डॉ. वागीश मिश्रा।
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
सूर्य के अध्ययन के लिए भारत के पहले समर्पित वैज्ञानिक मिशन ‘आदित्य-एल1’ में लगे मुख्य पेलोड (संयंत्र) विजिबल इमिसन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) का निर्माण दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र डॉ. वागीश मिश्रा व उनकी टीम ने किया है। इसरो ने इस संयंत्र को वीईएलसी से तैयार कराया है। इसके जरिए सूर्य पर हर समय नजर रखने में कोई भी बाधा नहीं आएगी, यहां तक कि सूर्य ग्रहण के दौरान भी। सूर्य के व्यापक अध्ययन और अवलोकन के लिए उपग्रह के साथ गए सात उपकरणों में से यह प्रमुख है।
वागीश, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बंगलूरू में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं। वह मूलत: देवरिया जिले के रामनाथ, देवरिया के निवासी शिक्षक नागेश मिश्रा के पुत्र हैं। डॉ. वागीश ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएससी और वर्ष 2009 में एमएससी फिजिक्स की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद से खगोल और अंतरिक्ष पर शोध किया। इसके बाद वह पोस्ट डाॅक्टरल के लिए विदेश चले गए, जहां विश्व की दूसरी प्रयोगशालाओं में काम किया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के आदित्य एल-1 प्रोजेक्ट की जानकारी होने पर वह फरवरी 2021 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (भारतीय ताराभौतिकी संस्थान) बंगलूरू से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद तैनात हुए। तभी से वे विजिबल इमिसन लाइन कोरोनाग्राफ की वैज्ञानिक टीम का हिस्सा हैं और वीईएलसी संयंत्र को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है।
[ad_2]
Source link