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![Bangla Diwas: विधानसभा समिति ने 15 अप्रैल को 'बांग्ला दिवस' मनाने की सिफारिश की, सरकार को भेजा मसौदा प्रस्ताव Assembly committee recommends Bangla Diwas on 15th April, sends draft proposal to Bengal government](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2022/11/09/750x506/west-bengal-assembly_1667979763.jpeg?w=414&dpr=1.0)
पश्चिम बंगाल विधानसभा।
– फोटो : Agency (File Photo)
विस्तार
पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा राज्य का स्थापना दिवस का दिन निर्धारित करने के लिए गठित एक समिति ने सिफारिश की है कि 15 अप्रैल को ‘बांग्ला दिवस’ के रूप में मनाया जाए। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि समिति ने अंतिम निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है।
चट्टोपाध्याय ने सोमवार को कहा कि पश्चिमबंगा दिवस (स्थापना दिवस) पर निर्णय लेने वाली एक समिति ने सिफारिश की है कि यह दिन 15 अप्रैल को मनाया जाए और इसे ‘बांग्ला दिवस’ के रूप में नामित किया जाए। समिति ने अपनी सिफारिश राज्य सरकार को भेज दी है और अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पर निर्णय लेंगी।
पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी (Biman Banerjee) ने उपाध्यक्ष आशीष बनर्जी को संयोजक और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते सुगत बोस (Sugata Bose) को सलाहकार बनाते हुए समिति का गठन किया था। समिति में राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु, शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम और कानून मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य भी सदस्य थे।
सुगत बोस ने बताया कि 15 अप्रैल की सिफारिश “इस तारीख को शुभ मानते हुए की गई है और यह बंगाल की संस्कृति से भी मेल खाती है। उन्होंने कहा, हमने 15 अप्रैल की तारीख की सिफारिश की है क्योंकि यह एक शुभ तारीख है। और हम नहीं चाहते थे कि जिस दिन हम अपना राज्य दिवस मनाएं उस दिन विभाजन के आघात और हत्याओं का प्रतिबिंब हो। दूसरी बात यह है कि हमने ‘बांग्ला दिवस’ नाम चुना है, क्योंकि यही वह नाम था जिसे तब चुना गया था, जब राज्य विधानसभा ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला करने का प्रस्ताव पारित किया था।
बंगाली नव वर्ष हर साल 15 अप्रैल को मनाया जाता है। हालांकि राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था और अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है। इस बीच समिति के सदस्यों ने ‘बांग्ला दिवस’ शब्द की वकालत की है। बोस ने कहा, मैंने यह भी सिफारिश की है कि किसी भी अन्य राज्य की तरह हमारे राज्य का भी एक राष्ट्रगान होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कड़े विरोध के बावजूद 20 जून को कई राज्यों में पश्चिम बंगाल का स्थापना दिवस मनाया गया, जिन्होंने इसे “भगवा खेमे का एक राजनीतिक कदम” बताया था। समिति की सिफारिशों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह वोट बैंक की राजनीति को खुश करने और यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास है कि राज्य की युवा पीढ़ी इतिहास से अवगत न हो।
उन्होंने कहा, यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास है कि हम इतिहास को भूल जाएं और अल्पसंख्यक वोट बैंक को खुश करें। राज्य के लोगों को राजनीतिक और धार्मिक आधार से ऊपर उठकर इस प्रस्ताव का विरोध करना चाहिए। 20 जून के जश्न ने इस साल राज्य में तूफान ला दिया था, राज्य सरकार और राजभवन आमने-सामने आ गए थे और बनर्जी ने भाजपा और राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर राजनीतिक लाभ के लिए राज्य के ‘स्थापना दिवस’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।
राज्यपाल बोस ने बनर्जी की आपत्तियों के बावजूद राजभवन में राज्य का ‘स्थापना दिवस’ कार्यक्रम आयोजित किया था। उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार की चिंता को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा। भाजपा ने भी पूरे राज्य में यह दिवस मनाया था। 20 जून, 1947 को बंगाल विधानसभा में विधायकों के अलग-अलग समूहों की दो बैठकें हुई थीं। जो लोग पश्चिम बंगाल को भारत का हिस्सा चाहते थे उनमें से एक ने बहुमत से प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। दूसरा उन क्षेत्रों के विधायकों का था जो अंततः पूर्वी पाकिस्तान बन गया।
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