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डॉक्टर बताते हैं, डेंगू के गंभीर मामलों में रक्तस्रावी बुखार होने का जोखिम अधिक होता है जो लो ब्लड प्रेशर, शॉक लगने और कुछ स्थितियों में जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू में ब्लड प्लेटलेट्स काउंट कम होने के कारण इस तरह के जोखिम अधिक हो सकते हैं। प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए कुछ घरेलू उपचार जैसे पपीते के पत्ते और गिलोय पीने की काफी चर्चा रही है, क्या वास्तव में ये लाभकारी हैं? आइए इस बारे में विशेषज्ञों से जानते हैं।
डेंगू के मामलों में पपीते के पत्ते का जूस पीने का चलन देशभर में है, पर क्या वास्तव में इससे कोई लाभ होता है?
इसके लेकर किए गए अध्ययनों में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। कुछ शोध की रिपोर्ट्स कहती हैं, लगातार तीन दिनों तक प्रतिदिन पपीता के पत्ते का जूस पीने से 40 से 48 घंटे में औसत प्लेटलेट काउंट बढ़ सकता है, हालांकि ये सभी लोगों के लिए लाभकारी है, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है।
अध्ययनों में पाया गया है कि गिलोय अपने एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी डायबिटिक गुणों के जाना जाता रहा है, कुछ शोध बताते हैं, गिलोय का संयमित मात्रा में सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में लाभकारी है। गिलोय के सेवन से शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है, हालांकि इससे डेंगू में लाभ या प्लेटलेट्स बढ़ने संबंधी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
डेंगू में पपीते के पत्ते और गिलोय का सेवन करना चाहिए या नहीं इस बारे में जानने के लिए अमर उजाला ने आकाश हेल्थ केयर में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर विक्रमजीत सिंह से बातचीत की। डॉक्टर कहते हैं, इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि इनसे डेंगू के रोगियों को लाभ मिलता है। इन उपायों को पहले से कई अन्य चिकित्सा पद्धतियों में इस्तेमाल किया जाता रहा है। डेंगू रोगियों के लिए ये सहायक उपचार के तौर पर प्रयोग में लाए जा सकते हैं, हालांकि इसके साथ आपको डॉक्टरी सलाह लेना बहुत आवश्यक है।
डॉक्टर कहते हैं, जिस तरह से देश के कई राज्यों में तेजी से डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, इससे बचाव करते रहना सभी लोगों के लिए बहुत आवश्यक है। मच्छरों के काटने से बचाव करें, घर के आसपास साफ-सफाई रखें और रात में सोते समय मच्छरादानी का इस्तेमाल करें। यदि आपको डेंगू हो जाता है, तो भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें, आराम करें और पर्याप्त मात्रा में नींद लें। यदि लक्षण बिगड़ रहे हैं या प्लेटलेट्स काउंट कम हो रहे हैं तो तुरंत किसी डॉक्टर से मिलें।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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