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![Elgar Parishad Case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नवलखा को नजरबंद रखने से गलत मिसाल कायम होगी; NIA को दिया यह निर्देश Elgar Parishad-Maoist link case: SC says keeping Navlakha under house arrest will set wrong precedent](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2018/10/29/gautam-navlakha_1540795275.jpeg?w=414&dpr=1.0)
गौतम नवलखा
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंद रखना एक गलत मिसाल कायम करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को उनकी मौजूदा चिकित्सा स्थिति और मुकदमे के चरण के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा। नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं।
पीठ ने कहा,’प्रथम दृष्टया हमें अपनी आपत्तियां हैं, लेकिन एक लंबा आदेश पारित किया गया है। मामले के गुण-दोष में जाए बिना, यह एक गलत मिसाल कायम कर सकता है। आपके पास 100 फीसदी योग्यता हो सकती है, इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते। लेकिन इसे सुविधाजनक बनाने के लिए और एक व्यक्ति के लिए ऐसा करें … हलफनामा दाखिल करें। इसमें इस व्यक्ति की वर्तमान स्थिति और मुकदमे के चरण को शामिल किया जाना चाहिए।’
सुनवाई शुरू होते ही नवलखा की ओर से पेश वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत ने आवास बदलने की मांग करने वाली कार्यकर्ता की याचिका पर एनआईए को अप्रैल में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था लेकिन आतंकवाद रोधी एजेंसी ने अब तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने पीठ से कहा कि बंबई उच्च न्यायालय कार्यकर्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाला है। राजू ने पीठ से कहा कि नवलखा को नजरबंद करने का आदेश एक असामान्य आदेश है जो संभवत: अपनी तरह का पहला आदेश है।
राजू ने कहा, उन्होंने अपनी बीमारी के आधार पर घर का आदेश हासिल किया था। उन्होंने कहा कि एक महिला उनके साथ रहेगी। लेकिन वह ज्यादातर समय नहीं रहती हैं। इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि नजरबंदी का आदेश अनुचित है।
एएसजी ने कहा कि नवलखा पर राज्य का पैसा बकाया है। उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि वह उन्हें उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने के खर्च के रूप में कम से कम 20 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दे।
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