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Exclusive: एएमयू में ही हाशिए पर पहुंची उर्दू, शोध में सीटें हुईं शून्य, लोगों ने जताई हैरानी

Exclusive: एएमयू में ही हाशिए पर पहुंची उर्दू, शोध में सीटें हुईं शून्य, लोगों ने जताई हैरानी

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Marginalized Urdu in AMU itself, zero seats in research

एएमयू
– फोटो : फाइल फोटो

विस्तार


उर्दू तहरीक में अहम भूमिका निभाने वाले एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) में ही उर्दू हाशिए पर है। आलम यह है कि मौजूदा शिक्षा सत्र के पीएचडी पाठ्यक्रम में उर्दू की सीटें शून्य कर दी गई हैं। एएमयू में उर्दू की सीटें शून्य करने पर लोगों ने हैरानी जताई है। उधर, उर्दू विभागाध्यक्ष ने कहा कि वह इस बाबत यूनिवर्सिटी इंतजामिया से खतो-किताबत कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि पीएचडी में उर्दू की सीटें बहाल हो जाएंगी।

शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में उर्दू विभाग में पीएचडी प्रवेश के लिए एक भी सीट जारी नहीं की गई है। एएमयू के उर्दू विभाग में पीएचडी की सीटें शून्य कर देने से वर्षों से दाखिले के लिए तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के माथे पर सिलवटें उभर आई हैं। शोध की तैयारी कर रहे अब्दुल वहीद ने बताया कि एएमयू की ओर से जारी नोटिस में उर्दू में शोध के लिए एक भी सीट जारी न करना अफसोस की बात है। सत्र एक साल पीछे चल रहा है। एक अन्य छात्र तौहीद ने बताया कि उर्दू में शोध के लिए एक भी सीट न होने से विद्यार्थियों में बेचैनी हो गई है। वह दो साल से लगातार तैयारी कर रहे थे। उर्दू विभाग में 150 छात्र-छात्राएं शोध अलग-अलग विषय में कर रही हैं। एक प्रोफेसर अपने मार्गदर्शन में आठ विद्यार्थियों को पीएचडी करा सकते हैं। विभाग में सृजित 18 में से 14 पद रिक्त है। विभाग में किसी भी बड़ी साहित्यिक शख्सियत के नाम से चेयर भी नहीं है।

अब्दुल सत्तार, मंटो, सरदार जाफरी, कुर्रतुल ऐन हैदर, मजरूह सुल्तानपुरी, मजाज लखनवी जैसे सितारे दिए हैं उर्दू विभाग ने

एएमयू के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राहत अबरार ने बताया कि उर्दू विभाग भारतीय उपमहाद्वीप के विश्वविद्यालयों में अग्रणी माना जाता है। दिसंबर 1921 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को विश्वविद्यालय  दर्जा दिए जाने के बाद इस विभाग की स्थापना की गई थी। यहां से पढ़ाई करने वालों में अली सरदार जाफरी, कुर्रतुल ऐन हैदर और शहरयार जैसे बड़े साहित्यकार तो ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। पद्मभूषण प्रो. आले अहमद सुरूर व पद्मश्री प्रो. काजी अब्दुल सत्तार ने  न सिर्फ पढ़ाई की है बल्कि पढ़ाया भी है। विद्वान प्रो. रशीद अहमद सिद्दीकी, सआदत हसन मंटो, खुर्शीदुल इस्लाम, मुईन अहसन जज्बी, मजरूह सुल्तानपुरी, अख्तरुल ईमान, मजाज लखनवी आदि भी पढ़े हैं।

उर्दू में शोध के लिए सीट के लिए इंतजामिया से अनुरोध किया गया है। इस पर विचार किया जा रहा है। -प्रो. मोहम्मद अली जौहर, विभागाध्यक्ष उर्दू, एएमयू 

उर्दू विभाग में सीटें शून्य करने की फिलहाल मुझे जानकारी नहीं है। इंतजामिया से संपर्क करने के बाद ही इसके बारे में बताया जा सकता है। -उमर पीरजादा, पीआरओ एएमयू

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