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Gyanvapi: पत्थर के टुकड़े और अन्न के दाने बताएंगे ज्ञानवापी की कहानी, एएसआई सर्वे से सामने आएगा सच

Gyanvapi: पत्थर के टुकड़े और अन्न के दाने बताएंगे ज्ञानवापी की कहानी, एएसआई सर्वे से सामने आएगा सच

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Stone pieces and food grains will tell story of Gyanvapi ASI survey will reveal  truth

ज्ञानवापी परिसर में बीते साल मई में भी हुआ था सर्वे
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे से दुनिया के सामने इतिहास का सच सामने आ जाएगा। एएसआई के सर्वे में पत्थर के टुकड़े और अन्न के दाने अपने कालखंड की कहानी खुद ब खुद बताएंगे। इसमें एएसआई ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार, उत्खनन के साथ ही कार्बन डेटिंग भी कर सकता है। बीएचयू के इतिहासकारों का कहना है कि एएसआई सर्वे के बाद स्थितियां साफ हो जाएंगी।

बीएचयू के इतिहासकार प्रो. ओएन सिंह कहना है कि सर्वे की प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिकता पर निर्भर होती है। इसमें चिन्हित स्थानों के अलग-अलग जगहों पर ट्रेंच लगाते हैं। इस दौरान मिलने वाले पत्थर के टुकड़े, अन्न के दाने, मूर्तियां, अभिलेख व हर छोटी से छोटी वस्तु भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। मूर्तियों के समय का निर्धारण प्रतिमाशास्त्र के ग्रंथों से मिलान करने के बाद होता है।

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हवनकुंड मिला मतलब हिंदू परिसर होने का प्रमाण

अगर परिसर में पूजा पाठ हो रहा होगा तो कहीं न कहीं हवनकुंड भी जरूर होगा। हवनकुंड मिल जाएगा तो उसकी कार्बन डेटिंग से हिंदू परिसर होने का प्रमाण मिल सकता है। शैव परंपरा के मंदिरों में शिवलिंग, नंदी और जल निकासी का स्थान निर्धारित होता है। बभनियांव की खोदाई में कुषाणकालीन शिवलिंग के प्रमाण मिले थे। सापेक्ष और निरपेक्ष डेटिंग पद्धति के जरिये एएसआई सर्वे कर सकता है।

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