[ad_1]
शोधकर्ताओं ने बताया कि डेस्क जॉब वालों में समय के साथ गंभीर न्यूरोलॉजिलकल विकारों के विकसित होने का जोखिम हो सकता है, यह आपमें अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया के प्रमुख कारणों में से एक है, आमतौर पर इसका जोखिम 60 की उम्र के बाद वाले लोगों में देखा जाता रहा है। हालांकि इस शोध में बताया गया है कि जॉब करने वाले लोगों में भी इस रोग का जोखिम बढ़ता जा रहा है, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
कुछ दशकों पहले तक वयस्कों में डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग के खतरे को न के बराबर माना जा रहा था, हालांकि समय के साथ इस आयुवर्ग में भी इस प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ते हुए देखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वर्तमान में 55 मिलियन लोग अल्जाइमर-डिमेंशिया से पीड़ित हैं।
लाइफस्टाइल की समस्याओं के चलते इस तरह की समस्याओं को जोखिम और भी बढ़ गया है। इससे संबंधित जामा जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया अगर आप रोजाना 10 घंटे से अधिक की सिटिंग जॉब करते हैं तो ये स्थिति आपमें डिमेंशिया के विकसित होने का कारण हो सकता है।
लेखकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आधे से ज्यादा अमेरिकी लोगों के दिन का करीब साढ़े नौ घंटे से अधिक का समय बैठे हुए बीतता है और ये आदत संज्ञानात्मक और संरचनात्मक मस्तिष्क की उम्र बढ़ने से जुड़ी हुई है। गतिहीन व्यवहार में सिर्फ ऑफिस में लंबे समय तक बैठना ही नहीं, लंबे समय तक बैठकर टेलीविजन देखना, कंप्यूटर पर काम करना और गाड़ी चलाना भी इसमें शामिल है।
गतिहीन व्यवहार किस प्रकार से मस्तिष्क के लिए समस्याकारक है, इसको जानने के लिए शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक से डेटा एकत्र किया। प्रतिभागियों को एक सप्ताह के लिए अपनी कलाई पर एक्सेलेरोमीटर पहनने के लिए कहा गया। फिर एकत्र किए गए डेटा पर एक मशीन लर्निंग-आधारित विश्लेषण किया गया ताकि यह आकलन किया जा सके कि वे कितने गतिहीन थे।
डेटा का विश्लेषण किया गया, तो पता चला कि जो लोग दिन में लगभग 10 घंटे गतिहीन रहते थे, उनमें डिमेंशिया का खतरा अधिक था।
डिमेंशिया के जोखिमों के बारे में अध्ययनकर्ता डॉ. शारा कोहेन कहती हैं, सेंडेंटरी लाइफस्टाइल को पहले से ही कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जाता था, जिसमें मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याएं थीं, इसके कारण अब डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। शारीरिक निष्क्रियता, वैस्कुलर हेल्थ के लिए भी हानिकारक है, ये मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को कम करके सेरेब्रोवास्कुलर रोग होने की आशंका को बढ़ा सकती है।
————–
स्रोत और संदर्भ
Sedentary Behavior and Incident Dementia Among Older Adults
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
[ad_2]
Source link