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![India-Pak Ties: ‘पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंधों को सुधारने पर विचार करें’, संसदीय समिति का सरकार को सुझाव Parliamentary committee offered to improve economic relations with Pakistan](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/01/19/750x506/parliament_1674151188.jpeg?w=414&dpr=1.0)
संसद (सांकेतिक तस्वीर)।
– फोटो : ANI
विस्तार
पाकिस्तान के साथ एक बार फिर आर्थिक संबंधों को सुधारने के लिए एक संसदीय पैनल ने सरकार के सामने प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान-भारत के बीच सांस्कृतिक समानताओं और सभ्यताओं के कारण व्यापक संपर्क की दिशा में काम करना चाहिए।
समिति ने कहा गतिशील नीति
विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने मंगलवार को लोकसभा में भारत के पड़ोसी प्रथम नीति विष्य पर केंद्रित अपनी एक रिपोर्ट पेश की। समिति की अध्यक्षता भाजपा नेता पीपी चौधरी कर रहे हैं। लोकसभा में पेश रिपोर्ट में समिति ने कहा कि यह गतिशील नीति है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि समिति सरकार से आग्रह करती है कि अगर पाकिस्तान पहल करें तो उसके साथ आर्थिक संबंध स्थापित किए जा सकते हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक समानताएं हैं। दोनों देशों के नागरिकों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है, जिस वजह से संपर्क की दिशा में हम काम कर सकते हैं।
इस्लामाबाद को करनी होगी पहल
पाकिस्तान में चीनी बेल्ट और उसके रोड विजन के साथ-साथ अमेरिका भी पाकिस्तान में रुचि दिखा रहा है। इसलिए समिति का वितार है कि व्यापक जुड़ाव और छोटे पड़ोसियों के साथ संबंधों को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित करना भारत के हित में है। इससे रणनीतिक हितों और विदेश नीतियों को साधा जा सकता है। पाकिस्तान के साथ तनाव का मुख्य कारण है आतंकवाद। हालांकि, समिति का कहना है कि बातचीत को सार्थक बनाने के लिए इस्लामाबाद की जिम्मेदारी है कि वह अनुकूल माहौल तैयार करे। समिति ने कहा कि सरकार को क्षेत्रीय और बहुपक्षीय पैमाने पर पाकिस्तान के साथ जुड़ाव करना चाहिए, जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पाकिस्तान का समर्थन हासिल किया जा सके।
पहले भी संसदीय समिति ने पेश की थी रिपोर्ट
सोमवार को संसद की एक स्थायी संसदीय समिति ने समर्पित सांस्कृतिक विरासत दस्ता स्थापित करने की मांग की थी। इसका उद्देश्य चोरी हुए पुरावशेषों की बरामदगी होगा। समिति ने कहा था कि इटली, कनाडा, नीदरलैंड, अमेरिका, स्कॉटलैंड, स्पेन और फ्रांस सहित अन्य देशों की तरह हमें भी एक दस्ते का गठन करना चाहिए। दस्ते में अधिकारी शामिल होंगे, जिन्हें पुनर्प्राप्ति के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
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