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![ISRO: सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा आदित्य-एल1, 125 दिन बाद कक्षा में पहुंचेंगा उपग्रह India first Solar mission Aditya-L1 launch from Sriharikota ISRO Chief Somanath news update](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/07/30/isro-pslv-c56-launch_1690679648.jpeg?w=414&dpr=1.0)
ISRO PSLV-C56 launch
– फोटो : ANI
विस्तार
चंद्रमा पर सफलतापूर्वक अपना यान उतारने के बाद भारत सूर्य की खोज के लिए शनिवार को अपना पहला मिशन आदित्य एल1 रवाना करेगा। इसके लिए काउंटडाउन जारी है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्च पैड दो से आदित्य एल1 का शनिवार सुबह 11:50 बजे प्रक्षेपण किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आदित्य एल1 को सूर्य की कक्षा तक भेजने के लिए अपने बाहुबली रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी)-सी 57 पर ही भरोसा किया है। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि मिशन को कक्षा तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
ऐसे पूरा होगा सफर
आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। प्रोपल्शन प्रणाली के जरिये अंतरिक्ष यान को लग्रांज पॉइंट एल1 की ओर भेजा जाएगा। एल1 पाॅइंट की तरफ बढ़ने के साथ ही यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा। एल1 पॉइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। एल1 पॉइंट अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह है, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का असर नहीं होता है। इसके चलते वस्तुएं यहां रह सकती हैं। इसे पार्किंग पॉइंट भी कहा जाता है।
सूर्य-पृथ्वी के बीच पांच लग्रांजियन पॉइंट
सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लग्रांजियन पॉइंट हैं। एल1 पॉइंट प्रभामंडल कक्षा में है जहां से सूर्य पर ग्रहण का असर नहीं होता। इस पॉइंट से सौर गतिविधियां लगातार देखने का लाभ मिलेगा। यहां से सूर्य, अपनी आकाशगंगा और अन्य तारों का व्यापक अध्ययन संभव है। पीएसएलवी के लिए ‘एक्सएल’ का इस्तेमाल हुआ है, जो ज्यादा शक्तिशाली होना दर्शाता है। 2008 में चंद्रयान-1 व 2013 में मंगल ऑर्बिटर मिशन के लिए भी ऐसा रॉकेट इस्तेमाल हुआ था।
मिशन का उद्देश्य
इसरो के अनुसार, आदित्य एल1 का मुख्य उद्देश्य कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य के कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का बड़े पैमाने पर निष्कासन) की उत्पति, गतिशीलता और प्रसार को समझने और कोरोना के अत्यधिक तापमान के रहस्य का समाधान करना है। 190 किलो का विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) पांच वर्षों तक सूर्य की तस्वीरें भेजेगा।
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