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Jammu Kashmir: Masood Azhar
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
विस्तार
पाकिस्तान के आतंकी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अजहर, जिसका नाम भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में शामिल है, वह शांत नहीं बैठ रहा है। अपने गुर्गों के जरिए मसूद अजहर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। एनआईए की चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि कश्मीर घाटी में मसूद अजहर के गुर्गे उसकी तस्वीरें और भड़काऊ ऑडियो एवं वीडियो क्लिप के जरिए युवाओं को गुमराह कर उन्हें आतंक के रास्ते पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। 1999 के दौरान भारतीय जेल में बंद मसूद अजहर एवं उसके दो साथियों की रिहाई के लिए आतंकियों ने भारतीय विमान का अपहरण कर लिया था। उस विमान को कंधार ले जाया गया। विमान के यात्रियों की रिहाई के बदले भारत सरकार को मसूद अजहर समेत तीन खूंखार आतंकी रिहा करने पड़े थे। अब वही मसूद अजहर, पाकिस्तान में बैठकर अपने गुर्गों की मदद से जम्मू कश्मीर में माहौल खराब करने की साजिश रच रहा है।
शांति व्यवस्था को खराब करने की कोशिश
एनआईए द्वारा बुधवार को पेश की गई चार्जशीट में कई बड़े खुलासे हुए हैं। यह चार्जशीट, जम्मू-कश्मीर में आतंकी साजिश रचने के मामले में दायर की गई है। इस आरोप पत्र में दो लोगों का नाम है। उनमें एक पाकिस्तानी नागरिक है और दूसरा व्यक्ति जम्मू कश्मीर का रहने वाला है। ये दोनों आरोपी, मसूद अजहर के इशारे पर जम्मू कश्मीर में शांति व्यवस्था को खराब करने की कोशिश कर रहे थे। इन्होंने हिंसा और आतंकी कृत्यों के माध्यम से मसूद द्वारा तैयार की गई साजिश को अंजाम देने का प्रयास किया। इनमें से उबैद मलिक कुपवाड़ा का रहने वाला था, जबकि मोहम्मद दिलावर इकबाल उर्फ माज खान, अब्बासपुर, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का निवासी है। ये दोनों आरोपी, सुरक्षा बलों और तथाकथित ‘बाहरी लोगों’ पर हमले कर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की आपराधिक साजिश में शामिल थे।
दिलावर ने उबैद को जेईएम में शामिल किया था
चार्जशीट के मुताबिक, आतंकी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अजहर अल्वी का करीबी सहयोगी दिलावर, जम्मू कश्मीर में आतंकवादी कृत्यों और गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहा था। इसके लिए उसने कश्मीरी युवाओं को प्रेरित करना शुरू कर दिया। उबैद मलिक को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी रैंक में शामिल कराने के पीछे दिलावर का हाथ रहा है। उसने मौलाना मसूद अजहर की तस्वीरें, कश्मीर घाटी के युवाओं में वितरित करनी शुरू कर दीं। उग्रवादी पृष्ठभूमि वाले युवाओं को मसूद अजहर के भड़काऊ ऑडियो क्लिप और वीडियो मुहैया कराए गए। युवाओं को जिहाद के लिए उकसाया गया। ऑडियो क्लिप और वीडियो में मौलाना मसूद अजहर को कट्टरपंथी इस्लाम का प्रचार करते हुए दिखाया गया था। इनके माध्यम से जम्मू कश्मीर के युवाओं को हथियार उठाने के लिए उकसाया जाता था। दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी, 1860 की धारा 120बी और 121ए और यूए (पी) अधिनियम, 1967 की धारा 18, 18बी, 20 और 38 के तहत आरोप लगाए गए थे।
आतंक और हिंसा की घटनाओं को अंजाम देना
आतंकी साजिश का यह मामला एनआईए ने (आरसी-05/2022/एनआईए/जेएमयू) 21 जून 2022 को स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया गया था। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों की साजिश के हिस्से के रूप में जम्मू-कश्मीर में स्टीकी बम, आईईडी और छोटे हथियार पहुंचाने की साजिश रची गई। इनके जरिए ये लोग घाटी में हिंसक आतंकवादी हमले करने की योजना बना रहे थे। स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाना और द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू एंड कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिदीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू एंड कश्मीर फ्रीडम फाइटर (जेकेएफएफ), कश्मीर टाइगर्स और पीएएएफ जैसे नए उभरते आतंकवादी समूहों के लिए ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं को संगठित करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों को सौंपी गई थी। ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), अल-बद्र, अल-कायदा आदि जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से संबद्ध हैं। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने और शांति एवं सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की आतंकवादी संगठनों की बड़ी साजिश को बेनकाब करने और विफल करने के लिए एनआईए लगातार काम कर रही है।
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