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एनडीए में शामिल हुई जेडीएस।
– फोटो : अमर उजाला
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐलान कर दिया है कि कर्नाटक की मजबूत स्थानीय पार्टी जेडीएस अब राजग गठबंधन का हिस्सा होगी। जेडीएस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ मुलाकात के बाद इस गठबंधन की घोषणा कर दी गई। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन कांग्रेस के यहां मजबूत होने से पार्टी को यहां बड़ा नुकसान होने की आशंका थी जिसे समाप्त करने के लिए भाजपा को मजबूत क्षेत्रीय दल के सहयोगी की आवश्यकता थी जो जेडीएस के रूप में पूरी हुई।
इस बार इंडिया गठबंधन के आकार लेने से भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ी हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने जिन राज्यों में सबसे ज्यादा असर दिखाया था, उनमें कर्नाटक भी शामिल है। कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की है। सरकार बनाने के साथ ही कांग्रेस ने राज्य में लोकप्रिय योजनाओं की झड़ी लगा दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में भी कर्नाटक में कांग्रेस का प्रदर्शन बरकरार रह सकता है। यदि ऐसा हुआ तो पिछली बार 25 सीट जीतने वाली भाजपा के सामने कड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
पीएम मोदी और अमित शाह के तेवर देखने के बाद एक बात स्पष्ट तौर पर समझ आ रही है कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में हर हाल में जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं। लेकिन उनकी इस राह में इंडिया गठबंधन चुनौतियां पेश करता दिखाई पड़ रहा है। इस गठबंधन के कारण बिहार-पश्चिम बंगाल के बाद जिन राज्यों में भाजपा को सबसे ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, उनमें कर्नाटक भी एक हो सकता है। यही कारण है कि भाजपा एक-एक कर अपना किला दुरुस्त करने की कोशिश कर रही है।
जेडीएस के साथ आने से भाजपा को उत्तर और दक्षिण कर्नाटक की पिछड़ी-दलित जातियों में सेंध लगाने में सफलता मिल सकती है। बंगलूरू कर्नाटक में भाजपा की पकड़ अभी भी मजबूत बनी हुई बताई जाती है, लेकिन अन्य इलाकों में पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है। इस कमजोरी को मजबूती में तब्दील करने के लिए पार्टी लगातार प्रयास कर रही थी।
भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसके लिंगायत वोटरों के बिखरने के रूप में सामने आई है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान लिंगायत मतदाताओं ने उससे मुंह मोड़ लिया जिससे पार्टी की करारी हार हुई। हार को सुनिश्चित करने में पार्टी की अपनी गलतियां भी कम जिम्मेदार नहीं रहीं। पार्टी ने अपने दिग्गज लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्य भूमिका से पीछे खींच लिया, लक्ष्मण सावदी और जगदीश शेट्टार को उनकी सीटों से टिकट देने से इनकार कर दिया गया।
पार्टी की नीतियों से नाराज इन नेताओं ने कांग्रेस की ओर रुख कर लिया। उनके साथ उनके मतदाताओं ने भी पाला बदल लिया। इसका असर हुआ कि भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। चूंकि कांग्रेस ने इन लिंगायत नेताओं को अभी से बागी लिंगायत नेताओं को भाजपा से तोड़ने और अपने साथ जोड़ने का प्लान बना लिया है। अमर उजाला को मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी जैसे नेताओं को भाजपा के बागी नेताओं को कांग्रेस के पाले में लाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
कांग्रेस का यह प्लान कितना कारगर हो सकता है, इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि इन नेताओं की बगावत के बाद प्रधानमंत्री की रैलियों के बाद भी भाजपा अपनी हार नहीं रोक सकी थी। लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार रोकने के लिए हर टोटके इस्तेमाल किए जा रहे हैं। फिलहाल भाजपा को लगता है कि जेडीएस के रूप में उसे एक पतवार मिल गई है जो उसे कर्नाटक में कांग्रेस की बाढ़ में डूबने से बचा सकती है।
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