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![Luna 25 crash: ‘असफलता का मुख्य कारण...', मून मिशन फेल होने पर बोले रूसी अंतरिक्ष एजेंसी प्रमुख Russian space agency chief's big statement after Luna 25 crash](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/08/22/750x506/nprsa-ka-atarakashha-ejasa-rasakasamasa-ka-paramakha-yara-brasava_1692688051.jpeg?w=414&dpr=1.0)
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव
– फोटो : Social Media
विस्तार
रूस के मून मिशन को बड़ा झटका लगा है। चांद पर रूस की पहुंचने की उम्मीदें खत्म हो गई हैं, क्योंकि उसका अंतरिक्ष यान लूना-25 क्रैश हो गया। हालांकि, रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने चंद्रमा पर पहुंचने की दौड़ में बने रहने की कसम खाई है।
यह बताई वजह
यूरी बोरिसोव का कहना है कि चांद पर पहुंचने के मिशन को किसी भी सूरत में रोका नहीं जाएगा। मिशन को रोकना सबसे खराब फैसला होगा। अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख ने लूना-25 की विफलता का देश के लंबे समय तक इंतजार करने को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि करीब 50 सालों तक चांद पर पहुंचने के मिशन को रोकना लूना-25 की विफलता का मुख्य कारण है।
उन्होंने कहा कि सन् 1960 और 1970 में हमारे वैज्ञानिकों ने गलती से जो भी सीखा था, वह मिशन के लंबे समय तक रुकने के कारण भूल गए। यूरी बोरिसोव का कहना स्पष्ट है कि अगर पहले ही मिशन को इतने दशकों तक रोका नहीं जाता तो आज लूना-25 क्रैश नहीं होता। पहले के प्राप्त अनुभवों को काम में लाया जा सकता था।
लूना-ग्लोब’ दिया गया मिशन का नाम
11 अगस्त को सुबह 4.40 बजे रूस के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना- 25 लैंडर की लॉन्चिंग हुई थी। लूना- 25 को सोयुज 2.1 बी रॉकेट में चांद पर भेजा गया था। इसे लूना-ग्लोब मिशन का नाम दिया गया। रॉकेट की लंबाई करीब 46.3 मीटर, वहीं इसका व्यास 10.3 मीटर था। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस मे कहा था कि लूना-25 चांद की ओर निकल चुका है। पांच दिनों तक यह चांद की तरफ बढ़ेगा। इसके बाद 313 टन वजनी रॉकेट 7-10 दिनों तक चांद का चक्कर लगाएगा। हालांकि, अब लूना-25 क्रैश हो चुका है।
चंद्रयान- 3 से पहले लैंड करने की थी उम्मीद
उम्मीद जताई जा रही थी कि लूना-25 21 या 22 अगस्त को चांद की सतह पर पहुंच जाएगा। वहीं, चंद्रयान-3 भारत ने 14 जुलाई को लॉन्च किया था, जो 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा। लूना- 25 और चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने का समय करीब-करीब एक ही होने वाला था। लूना कुछ घंटे पहले चांद की सतह पर लैंड करता। रूस इससे पहले 1976 में चांद पर लूना-24 उतार चुका है। विश्व में अबतक जितने भी चांद मिशन हुए हैं, वे चांद के इक्वेटर पर पहुंचे हैं।
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