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प्रतीकात्मक तस्वीर।
– फोटो : AmarUjala
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मदरसों की महिला शिक्षकों को मातृत्व अवकाश देने में मदरसा प्रबंधन अब मनमानी नही कर सकेंगे। मदरसा बोर्ड मदरसा विनियमावली 2016 में संशोधन कर मातृत्व अवकाश को अनिवार्य रूप से शामिल करने जा रहा है। इससे महिला शिक्षकों को मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) के साथ ही बाल्य देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) का लाभ बगैर रुकावट आसानी से मिल सकेगा।
उप्र मदरसा शिक्षा परिषद से मौजूदा समय में मान्यता प्राप्त प्रदेश में तहतानिया (कक्षा 1 से 5), फौकानिया (कक्षा 6 से 8) और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानि हाई स्कूल या इससे ऊपर के करीब 16461 मदरसे हैं। इनमें सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त 560 मदरसे हैं। सभी में करीब 32827 शिक्षक तैनात हैं। शिक्षकों की कुल संख्या का 10 फीसदी महिला शिक्षक मदरसों में शिक्षण कार्य कर रही हैं।
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मदरसा विनियमावली 2016 में मदरसों के शिक्षक, शिक्षणेतर कर्मचारियों को माध्यमिक, बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के समान अवकाश देने की व्यवस्था है। ऐसे में मदरसों की महिला शिक्षकों को मातृत्व अवकाश और बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृत करने में मदरसों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य आनाकानी करते हैं। जिसको देखते हुए शासन ने 30 अगस्त 2022 को शासनादेश जारी कर अवकाश देने के निर्देश दिये थे।
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि मदरसा बोर्ड मदरसा विनियमावली 2016 में संशोधन कर मातृत्व अवकाश को शामिल करेगा। इसके बाद मदरसों के प्रबंधन मातृत्व अवकाश देने में मनमानी नही कर सकेंगे। नियमावली में शामिल होने के बाद मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त व राज्य अनुदानित मदरसों में ये व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगी।
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