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Wing Commander Pankaj Rana
– फोटो : एएनआई
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भारत अपने दुश्मनों से निपटने के लिए अपने बेड़े की क्षमता लगातार बढ़ाता जा रहा है। अब भारतीय वायु सेना ने हेरॉन मार्क-2 ड्रोन को शामिल किया है, जिससे वह एक ही उड़ान में पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ लगी सीमाओं पर निगरानी कर सकता है।
36 घंटे करेगा काम
भारतीय वायु सेना अब मेक इन इंडिया के तहत अपने प्रोजेक्ट चीता को आगे बढ़ाने की योजना बना रही है। इसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों के लगभग 70 हेरॉन ड्रोन को उपग्रह संचार लिंक के साथ उन्नत किया जाना है। सेना को 31 प्रीडेटर ड्रोन भी मिल रहे हैं, जो उच्च ऊंचाई, लंबी सहनशक्ति श्रेणी के हैं। हालांकि, चार नए हेरॉन मार्क-2 ड्रोन, जो लंबी दूरी की मिसाइलों और अन्य हथियार प्रणालियों से लैस हैं। इन्हें उत्तरी क्षेत्र में एक फॉरवर्ड एयर बेस पर तैनात किया गया है।
बता दें, हेरॉन मार्क-2 ड्रोन का संचालन करने वाले स्क्वाड्रन को ‘वार्डन ऑफ द नॉर्थ’ के रूप में जाना जाता है। यह चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ लगी सीमाओं पर निगरानी रखेगा। यह ड्रोन बहुत लंबी दूरी पर लगभग 36 घंटों तक काम कर सकते हैं।
हर मौसम में रखेगा निगरानी
ड्रोन स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर पंकज राणा ने बताया कि हेरॉन मार्क 2 एक बहुत ही सक्षम ड्रोन है। इससे पूरे देश की एक ही जगह से निगरानी की जा सकती है। उन्होंने आगे बताया कि ड्रोन अपने लक्ष्य को पूरा करने और मिशन को पूरा करने के लिए किसी भी मौसम और किसी भी इलाके में काम कर सकता है।
सन् दो हजार से शामिल किए जा रहे ड्रोन
हेरॉन मार्क-2 ड्रोन के पायलट अर्पित टंडन ने कहा कि हेरॉन ड्रोन के जिन नए संस्करण को शामिल किया गया है वो पहले की तुलना में बहुत अधिक अच्छे हैं। उन्होंने बताया कि सन् 2000 के दशक की शुरुआत में भारतीय वायु सेना में हेरॉन ड्रोन शामिल किया जाना शुरू किया था।
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