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Mathura: कोर्ट ने बिहारी सेवा ट्रस्ट के पक्ष में सुनाया फैसला, कब्रिस्तान से हटाकर मंदिर के नाम की गई जमीन

Mathura: कोर्ट ने बिहारी सेवा ट्रस्ट के पक्ष में सुनाया फैसला, कब्रिस्तान से हटाकर मंदिर के नाम की गई जमीन

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कोसीकलां थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव में श्री बिहारी जी मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान से हटाकर अभिलेखों में मंदिर के नाम पर दर्ज कर लिया गया है। बीते माह आए हाईकोर्ट के आदेश पर यह कार्यवाही छाता तहसील प्रशासन द्वारा की गई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव के मंदिर बांके बिहारी जी विराजमान के नाम दर्ज जमीन को 13 अगस्त 1970 को ग्राम सभा के नाम दर्ज करने फिर 21 साल बाद 30 अक्तूबर 1991 के आदेश से पोखर की भूमि के तौर दर्ज करने की कार्यवाही कर दी। 2004 में भोला खान व एजेंट ने मुख्यमंत्री को अर्जी देकर प्लाट संख्या 1081 व 108/4, 108/5 व 1093/190 पर कब्रिस्तान दर्ज करने की मांग की। तीन दिसंबर 2004 को तीनों प्लाट उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज हो गए। बाद में प्लाट 1081 भी कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गया। 

इसका पता चलने पर गांव वालों ने 16 जून 2020 को एसडीएम को अर्जी दी थी। आठ सदस्यीय कमेटी गठित की गई। उसने जांच रिपोर्ट पेश की। प्लाट 1081 से कब्रिस्तान का नाम हटाने को कहा गया। किंतु तमाम अर्जियों के बाद भी कुछ नहीं हो सका। पांच नवंबर 2021 को याची ने रिकॉर्ड दुरुस्त करने की अर्जी दी। डीजीसी से विधिक राय ली गई। कोई कार्रवाई न होने पर श्री बांके बिहारी सेवा ट्रस्ट के रामअवतार सिंह ने मोर्चा खोला दिया और हाईकोर्ट चले गए। 

कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर सरकार से जवाब मांगा। इच्छित जानकारी न मिलने पर अधिकारी तलब हुए। कोर्ट में प्लाट संख्या 1081 का रिकॉर्ड पेश किया गया। पता चला कि शुरुआत में 1081 मंदिर के नाम दर्ज थी। बाद में दो बार बदलाव किया गया। 2022 में तत्कालीन तहसीलदार, लेखपाल, कानूनगो व 21 अन्य पर मुकदमा दर्ज हुआ। हाईकोर्ट ने कई अधिकारियों को तलब किया। इसके बाद अदालत ने बांके बिहारी मंदिर के पक्ष में जमीन दर्ज करने का आदेश पारित किया था।

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