[ad_1]
मुरादाबाद। वार्ड नंबर 11 मैनाठेर की मूल निवासी और वर्तमान में नई दिल्ली में रह रहीं वानिया का यूरोप के सेमिलवाई विश्वविद्यालय बुडापेस्ट हंगरी में एमबीबीएस (मेडिसिन) में चयन हुआ है। उन्होंने दावा किया कि यह सफलता प्राप्त करने वाली वह पूरे भारत से अकेली छात्रा है। बेटी की सफलता से परिवार में जश्न का माहौल है।
वानिया ने बताया कि उनका यह पाठ्यक्रम छह वर्ष का है। इस दौरान उन्हें सौ फीसदी छात्रवृत्ति मिलती रहेगी। उन्हें दो सितंबर को कॉलेज ज्वाइन करना है। वानिया ने सीआरपीएफ पब्लिक स्कूल रोहिणी नई दिल्ली से इंटरमीडिएट किया है। वानिया के पिता असि. कमांडेंट सीआरपीएफ परवेज आलम ने बताया कि यह उनकी बेटी का ही सपना था। इस चयन के लिए कई परीक्षाएं दी हैं, जिसमें सफल हुई हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद वानिया परिवार की पहली डॉक्टर होंगी। तुर्क समाज में यह गौरव का विषय है। बेटी का सपना न्यूरोसर्जन बनने का है। उनका भाई अमेरिका में इंजीनियर है।
वानिया ने इस सफलता तक पहुंचने के लिए रात में पढ़ाई करती थीं और सुबह चार बजे सोती थीं। दोपहर 12 बजे जगने के बाद फिर पढ़ने बैठ जाती थीं। उन्होंने बताया कि रात के समय एकाग्रता से पढ़ाई हो पाती है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए कक्षा एक से अब तक के प्रदर्शन को परखा जाता है। इससे पहले अंग्रेजी ओलंपियाड में भी स्कूल टॉपर रही हैं। ऐसे में उनकी इस सफलता ने भी सहयोग किया है। पिता की ज्यादातर समय तैनाती पूर्वोत्तर राज्यों में रही है। ऐसे में मेरी मम्मी तबस्सुम ने मेरी पढ़ाई का पूरा ध्यान रखा।
मेरे लिए वह रातों में जग-जग कर चाय-कॉफी बनाती थीं, ताकि मैं बिना किसी परेशानी के पढ़ाई कर सकूं। खानपान का विशेष ध्यान रखती थीं। मेरी मम्मी जम्मू विश्वविद्यालय से योग में परास्नातक हैं। इसलिए मुझे स्वस्थ रखने के लिए योगाभ्यास करवाती थीं। मेरी वजह से मम्मी ने रिश्तेदारी में जाना तक छोड़ दिया। इस बात को लेकर रिश्तेदार नाराज हो गए थे, क्योंकि परीक्षा के समय उन्हें भी घर आने से रोक दिया था। फोन कक्षा 12 के बाद मेरे पास आया था। मम्मी के फोन का इस्तेमाल पढ़ाई के लिए करती थी।
[ad_2]
Source link