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Nithari Case
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
निठारी कांड के मामले में घटना के खुलासे के करीब 12 दिन बाद सीबीआई ने जांच शुरू कर दी लेकिन हर कदम पर लापरवाही बरती गई। सीबीआई डी-5 कोठी के अंदर किसी हत्या होने के सबूत से लेकर सुरेंद्र कोली के इंसानी मांस खाने जैसे आरोप का कोई सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर सकी और न ही इस मामले की जांच मानव अंगों के तस्करी से जोड़कर की।
इसके बाद ही हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को राहत दे दी और सीबीआई को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। दरअसल 29 दिसंबर 2006 को निठारी कांड का खुलासा नोएडा पुलिस ने किया था। इसके कुछ दिन के बाद ही मामले की जांच सीबीआई के पास चली गई।
कोर्ट ने फैसले में यह कहा कि इसका कोई सबूत कभी नहीं दिया गया कि कोई हत्या कोठी डी-5 के अंदर हुई है। अगर वहां कई हत्याएं होती तो घर के अंदर या किसी न किसी सामान पर खून के धब्बे जरूर होते, यानी सीबीआई ने खून के नमूने लेने में भी लापरवाही की या वहां हत्या हुई ही नहीं।
इसी तरह कोली पर आरोप था कि वह इंसानी मांस खाता था। इस पर भी सीबीआई को इंसानी मांस के अवशेष पाए जाने के न सैंपल मिले नहीं कोई सबूत। साथ ही जांच एजेंसियों की तरफ से जिस सफाई करने वाले कपड़े से गला घोंटकर हत्या करने का दावा किया गया था, वह कपड़ा भी कोठी नंबर डी-5 से नहीं मिला।
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