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स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर साधा निशाना।
– फोटो : अमर उजाला
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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी लोकसभा सीट पर भाजपा की दोबारा जीत को लेकर आश्वस्त हैं। क्या वे इसी सीट से तीसरी बार मैदान में होंगी, इस सवाल पर स्मृति कहती हैं कि अमेठी से कौन लड़ेगा, यह भाजपा संसदीय बोर्ड तय करेगा। अमेठी से कौन जीतेगा, इसका जवाब है- भाजपा।
क्या तीसरी बार अमेठी में उनका राहुल गांधी से मुकाबला होने जा रहा है, इस सवाल के जवाब में स्मृति ईरानी ने एक चैनल के कार्यक्रम में कहा, ”जीवन में कभी भी इस बात का घमंड नहीं रहा कि मेरी उपलब्धियां क्या हैं। आप जिसे प्रतिद्वंद्वी कह रहे हैं, वे अपनी ताकत के साथ लड़ेंगे, हम हमारी ताकत से लड़ेंगे। …लेकिन सरकार हमारी बनेगी। कोई जानी दुश्मन नहीं होता। कुंठा इंसान को अंदर से खुद ही मार देती है। मैं सामान्य परिवार से हूं, दो क्षेत्रों में अचीवर हूं। कभी उनका खानदान कहता था कि कौन स्मृति?”
स्मृति ने कहा- संसद कोई गली-नुक्कड़ नहीं था
स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेने के बाद अभद्र इशारे किए थे। इसके बारे में सवाल पूछे जाने पर स्मृति ने कहा कि गांधी परिवार के एक व्यक्ति को संसद की मर्यादा से सरोकार नहीं है। उन्हें शर्म आनी चाहिए। संसद कोई गली-नुक्कड़ नहीं था …और गली-नुक्कड़ पर भी क्या किसी महिला के साथ यह बर्ताव स्वीकार है?
‘राहुल मालिक, मैं कार्यकर्ता’
राहुल गांधी के साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बारे में सवाल पूछे जाने पर स्मृति ईरानी ने कहा, ”दो समान लोगों के बीच प्रतिद्वंद्विता हो सकती है। राहुल गांधी अपनी पार्टी के मालिक हैं, मैं अपनी पार्टी की कार्यकर्ता हूं। जहां तक अमेठी की बात है तो गांधी परिवार की विरासत के बारे में बहुत बात होती है। मैं विनम्रता से पृष्ठभूमि रखना चाहती हूं। 2014 में जब मैं अमेठी गई तो मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए 30 दिन से भी कम वक्त था। यह कहने में झिझक नहीं है। उन 30 दिनों में 60 फीसदी बूथ पर टेबल लगाने के लिए मेरे पास व्यक्ति नहीं था। तब मुलायम सिंह जी का एक इंटरव्यू देखा। उसमें उन्होंने कहा कि उनसे कांग्रेस ने सोनिया जी के माध्यम से मदद मांगी तो उन्होंने एक लाख वोट ट्रांसफर कर दिए।”
स्मृति ने कहा, ”मेरे और राहुल गांधी के बीच वोटों का फर्क था एक लाख पांच हजार। 2019 में भी हर सर्वे में कहा गया कि मैं हार रही हूं। पांच दशक से गांधी खानदान ने हर चुनाव में जितने वोट पाए, उससे ज्यादा वोट मुझे मिले। फर्क ये है कि गांधी परिवार सपा और बसपा के समर्थन से चुनाव लड़ता है। 2019 में अमेठी में जीतने के बाद हमने जिला पंचायत का चुनाव जीता। विधान परिषद में वहां से हमारे दो सदस्य हैं। 2022 में प्रियंका गांधी प्रभारी थीं। विधानसभा चुनाव हुआ। 20 हजार लोग हमारे पास थे। कांग्रेस की पांच में से चार विधानसभा पर जमानत जब्त हो गई। हमने तीन साल में उनके तीन लाख वोट कम कर दिए हैं।”
हमारे पास 60 हजार कार्यकर्ता, बाकी गणित आप समझिए
उन्होंने कहा, ”जिसे भी लड़ना है, लोकतंत्र है, लड़िए। इस बार मुकाबले में कुछ और लोग जुड़े हैं। बहुत बड़े नेता के रूप में उन्हें प्रस्तुत किया जाता है। …लेकिन नेता वह है, जो खुद चुनाव लड़ सकता है। एक ऐसी सीट पर उन्हें दूसरे दलों का सहारा चाहिए, जो पांच दशकों तक उनके परिवार के पास थी? 60 हजार कार्यकर्ता हमारे पास अमेठी में हैं, जो बूथ-बूथ पर जाते हैं। बाकी गणित आप समझ लीजिए। तुलनात्मक दृष्टि से मैं जिसके सामने लड़ी हूं, उसी का तथ्य आपके सामने रख सकती हूं।”
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