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![Ramnagar Ki Ramlila: रामनगर की रामलीला में विद्युत बल्बों का होता है प्रयोग, महिला पात्र भी निभाती हैं भूमिका Ramnagar Ki Ramlila: Electric bulbs are used in Ramlila of Ramnagar, female characters also play a role](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/10/18/catarakata-ramall-samata-kasha-aaja-bharata-vathaii-ka-ll-sapanana-haaa_1697612334.jpeg?w=414&dpr=1.0)
चित्रकूट रामलीला समिति काशी आज भारत विदाई की लीला संपन्न हुआ
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला को लेकर यह सर्वविदित है कि यह केवल पंचलाइट की रोशनी में होती है और इसमे कोई बल्ब, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और आधुनिक तकनीक का प्रयोग नहीं होता। वहीं रामलीला में केवल पुरुष पात्र ही होते हैं। जो इसकी विशेषता है। लेकिन, रामलीला की दो लीलाएं ऐसी हैं, जिसमें विद्युत बल्बों का प्रयोग किया जाता है। वहीं रामलीला में एक महिला पात्र भी भूमिका निभाती हैं। यही नहीं कहा जाता है रामनगर के राजा सभी लीलाएं देखते हैं, बिना उनके आए रामलीला शुरू नहीं होती। लेकिन दो लीलाएं ऐसी हैं जिन्हें महाराज नहीं देखते। वहीं हमेशा हाथी पर सवार रहने वाले राजा एक लीला में पैदल भी चलकर लीला स्थल पर आते हैं।
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रामनगर की 221 वर्ष पुरानी रामलीला अपनी प्राचीनता, परंपरा और सहजता के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहां आज भी पंचलाइट की रोशनी में सभी लीलाएं होती हैं, वहीं कोई इलेक्ट्रानिक उपकरण, माइक आदि प्रयोग नहीं किए जाते। यूं तो किसी भी लीला में विद्युत उपकरण का प्रयोग नहीं होता है। लेकिन दो प्रसंग ऐसे हैं जहां विद्युत बल्बों का प्रयोग किया जाता है। एक धनुष यज्ञ के दिन यज्ञशाला की अग्नि को दिखाने के लिए सौ वॉट का बल्ब लगाया जाता है। वहीं दूसरा जब राम चित्रकूट से पंचवटी की तरफ जाते हैं तो मार्ग में इंद्रपुरी से इंद्र द्वारा रथ भेजा जाता था। यह रथ तार के माध्यम से नीचे आता है और इसके कई विद्युत बल्ब लगे रहते हैं। इस वर्ष की लीला में इंद्र के रथ में तीन एलईडी लाइटें लगी थीं। ऐसा मजबूरी वश प्रकाश के लिए किया जाता है।
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