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![Rampur News: अब्दुल्ला को कम उम्र में विधायक बनने के फेर में सलाखों के पीछे पहुंचा आजम परिवार Azam family lands behind bars for Abdullah becoming MLA](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2021/12/02/rampur_1638431627.jpeg?w=414&dpr=1.0)
रामपुर। सपा नेता आजम खां के पुत्र मोह ने उनके परिवार को संकट में डाल दिया है। अपने रुतबे का इस्तेमाल कर उन्होंने बेटे (अब्दुल्ला) को विधायक तो बनवा दिया, लेकिन इस असर यह हुआ कि उनके सियासी सफर पर संकट के बादल मंडराने लगे। संकट इतना बढ़ गया कि अब्दुल्ला को को अपने माता-पिता के साथ जेल जाना पड़ा।
सपा नेता आजम खां रामपुर विधानसभा सीट से दस बार विधायक रहे चुके हैंं। वो प्रदेश में चार बार कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। इसके अलावा को 2019 में रामपुर संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव जीते थे और एक बार वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं। उनकी पत्नी विधायक और राज्यसभा सदस्य रही हैं। अपने पुत्र अब्दुल्ला को उन्होंने 2017 में विधायक तो बनवा दिया लेकिन उम्र के विवाद में हाईकोर्ट ने उनकी विधायकी निरस्त कर दी। अब्दुल्ला 2022 में फिर से स्वार सीट से विधायक बन गए , लेकिन छजलैट प्रकरण के मुकदमे में मुरादाबाद की कोर्ट से दो साल की सजा सुनाए जाने के कारण उनकी विधायकी चली गई। आजम खां और अब्दुल्ला आजम तो पहले सजायाफ्ता थे, अब डॉ. तजीन फात्मा भी इस श्रेणी में शामिल हो गई हैं।
दरअसल शैक्षिक प्रमाणपत्रों में अब्दुल्ला आजम की जन्म तिथि 01 जनवरी 1993 है। इसके हिसाब से वो 2017 का विधानसभा चुनाव के दौरान न्यूनतम आयु की सीमा को पूरा नहीं करते थे। ऐसी स्थिति में उन्होंने अपनी जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 बताकर चुनाव लड़ा। उनका एक जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ नगर निगम से जारी हुआ है दो दूसरा रामपुर नगरपालिका से। 2017 में जब अब्दुल्ला ने सपा की टिकट पर चुनाव जीता था तो उनके मुकाबले बसपा के प्रत्याशी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने उनके निर्वाचन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में चुनावी याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने उनकी चुनाव याचिका पर अपना फैसला देते हुए अब्दुल्ला की विधायकी को निरस्त कर दिया। अब्दुल्ला इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ले गए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उनको झटका लगा था। सत्ता परिवर्तन के बाद उस वक्त के भाजपा नेता और वर्तमान में शहर विधायक आकाश सक्सेना ने इस मामले को लेकर गंज थाने में अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र होने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया। उनका आरोप था कि अब्दुल्ला ने चुनाव लड़ने के लिए दो-दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए और इनका इस्तेमाल भी किया। इन आरोपों को अभियोजन की ओर से साबित भी कर दिया गया। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में भी इस बात का जिक्र किया कि आजम खां ने अपने रुतबे का गलत इस्तेमाल किया। यानि की कुल मिलाकर अपने बेटे को कम उम्र में विधायक बनाने के फेर में पूरे परिवार को संकट में ही नहीं डाला बल्कि जेल की सलाखों तक पहुंचा दिया। संवाद
एक साल पांच माह बाद फिर सलाखों के पीछे पहुंचे आजम
रामपुर। सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां, उनकी पत्नी डा.तजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम ने कोर्ट से कुर्की का वारंट जारी होने के बाद 26 फरवरी 2020 रामपुर की कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। तीनों को रामपुर की जेल भेज दिया था। एक दिन के बाद ही सुरक्षा कारणों से तीनों को सीतापुर की जेल भेज दिया गया था। आजम खां करीब 27 माह जेल से जमानत पर रिहा हुए थे। इससे पहले उनकी पत्नी डा.तजीन फात्मा 21 दिसंबर 2021 को जेल से रिहा हुईं थी। अब्दुल्ला आजम 15 जनवरी 22 को सीतापुर जेल से जमानत पर रिहा हुए थे। अब आजम परिवार एक बार फिर सजायाफ्ता होने के बाद रामपुर जेल पहुंच गया है।
प्रोफेसर से अब सजायाफ्ता हो गईं डा.तजीन फात्मा
रामपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर के साथ ही राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय समेत प्रदेश के कई महाविद्यालयों में राजनीति शास्त्र की प्रोफेसर रह चुकीं डा.तजीन फात्मा अब धोखाधड़ी और अपराधिक षडयंत्र रचने की सजायाफ्ता कैदी बन चुकी हैं। उन्हें कोर्ट ने पहली दफा दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई है।
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