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रामपुर। डेंगू और बुखार के चलते जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं बीमार पड़ने लगी हैं। अस्पताल में एक-एक बेड पर दो-दो रोगी लिटाए जा रहे हैं। अस्पताल में सही ढंग से इलाज न मिलने पर तीमारदार रोगियों को यहां रेफर कराकर निजी अस्पताल ले जा रहे हैं। ये हाल तब है जब जिला अस्पताल में 100 बेड का डेंगू वार्ड आरक्षित किया गया है, लेकिन इसमें तमाम कमरों पर ताले लटके हैं और दो-दो मरीजों को एक बेड पर लिटाया जा रहा है।
जिले में बुखार की रोकथाम के लिए सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। पिछले दो माह में जिला अस्पताल में बुखार के कई रोगियों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी विभागीय अधिकारी बुखार की रोकथाम के लिए सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। रोगियों को बेहतर उपचार पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिला अस्पताल में लगातार बुखार के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। रविवार को बुखार वार्ड में आठ और डेंगू वार्ड में चार रोगी भर्ती किए गए हैं। इस प्रकार अब डेंगू वार्ड में 32 और बुखार वार्ड में 44 रोगी भर्ती हैं।
ऐसे में यहां पर व्यवस्थाएं गड़बड़ाने लगी हैं। दरअसल, अस्पताल में डेंगू के लिए 100 बेड का वार्ड तो बना हुआ है लेकिन, यहां पर सभी वार्ड के ताले नहीं खोले हैं। ऐसे में जिन बेडों पर मच्छरदानी लगाई गई है, उन्हीं बेडों पर रोगियों को लिटाया जा रहा है। इस वजह से यहां पर एक-एक बेड पर दो-दो रोगी भर्ती हैं। बुखार वार्ड में 40 बेड की सुविधा है। यहां पर 44 रोगी भर्ती हैं।
निजी अस्पताल में ले गए रोगी
रविवार को ओपीडी बंद होने की वजह से इमरजेंसी में बुखार से पीड़ित 15 के करीब रोगी इलाज के लिए पहुंचे थे। यहां पर इनमें से आठ रोगियों को भर्ती किया गया। बाकी की हालत को गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें रेफर करने की सलाह दी। परिजन उनको निजी अस्पताल में ले गए।
अस्पताल में रोगियों का बेहतर उपचार किया जा रहा है। डेंगू के लिए 100 बेड आरक्षित हैं और बुखार वार्ड में 40 बेड हैं। कभी एकाएक रोगियों की संख्या अधिक हो जाती है तो बेड पर दो रोगियों को लिटा दिया गया होगा। अन्यथा एक बेड पर एक ही रोगी लिटाया जा रहा है।
– डॉ. एचके मित्रा, सीएमएस जिला अस्पताल
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