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Rampur News: आजम और तजीन ने रामपुर की जनता के साथ भी किया धोखा

Rampur News: आजम और तजीन ने रामपुर की जनता के साथ भी किया धोखा

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रामपुर।

सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र के मामले में एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश शोभित बंसल ने अपना फैसला सुनाते हुए सपा नेता आजम खां और उनकी पत्नी डाॅ. तजीन फात्मा पर तल्ख टिप्पणी की है।

कोर्ट ने कहा है कि आजम खां ने अपने बेटे को विधायक बनाने के लिए कूटरचित दस्तावेजों को आधार बनाकर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाकर चुनाव लड़वाया और जनता ने उन्हें विधायक भी चुन लिया। जन्म प्रमाणपत्र जारी कराए जाने के समय आजम खां यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री थे। उनके द्वारा झूठे तथ्यों के आधार पर चुनाव लड़ाने के लाभ से प्रेरित होकर झूठा जन्म प्रमाणपत्र जारी कराया गया और उसका प्रयोग किया। यह रामपुर की जनता के साथ धोखा है उनकी मंशा न्याय को हराने जैसी है। कोर्ट ने तजीन फात्मा के खिलाफ भी टिप्पणी की है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि तजीन फात्मा एक गृहणी ही नहीं है बल्कि पूर्व में राज्यसभा की सांसद और शिक्षक व उच्च शिक्षित महिला हैं।

उन्होंने कूटरचित तथ्यों के आधार पर नगर निगम लखनऊ में झूठा शपथ पत्र दिया और लाभ अर्जित करने में योगदान भी किया। कोर्ट ने कहा कि किसी लोकतांत्रिक राष्ट्र में सरकार के अधीन आने वाले समस्त संगठन लोकहित के आशय से कार्य करते हैं। ऐसे में न्यायालय का यह दायित्व है कि इन परिस्थितियों में अपने दंड से यह संदेश दे कि कोई जनप्रतिनिधि या लोकसेवक अपने कार्यालय का दुरुपयोग करते हुए अपने परिजनों को निजी लाभ पहुंचाने के आशय से कोई गलत कार्य न करे। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के दृष्टिगत दोष सिद्ध बंदियों को कम सजा दी जाती है तो दोष सिद्ध बंदियों का हौंसला बढ़ेगा तथा भविष्य में इस प्रकार की संभावना बढ़ेंगी। कोर्ट ने टिप्पणी के साथ ही उच्चतम न्यायालय की नजीर का भी उल्लेख किया।-

अभियोजन पक्ष की यह रही दलील

आजम खां, अब्दुल्ला आजम, तजीन फात्मा ने समाज के विरुद्ध अपराध किया है। उनका परिवार उच्च शिक्षित है। इसके बाद भी अपने पुत्र के दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाए। उनको पूरा ज्ञान था कि कोर्ट इस मामले में कड़ी सजा सुना सकती है। -अमरनाथ तिवारी, वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी

यह रही बचाव पक्ष की दलील

-आजम खां, तजीन फात्मा गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उनकी उम्र 72 साल है। उनको कम से कम से सजा दी जाए। तीनों को अंडरगोन (सदाचार) पर रिहा किया जाए। -जुबैर अहमद, अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट

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