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रामपुर। निपुण भारत के तहत बच्चों को गणित व विज्ञान में मेधावी बनाया जाता है। इसकी परीक्षा जिले में 15 व 16 सितंबर को होनी है, लेकिन जिले में कई स्कूल ऐसे भी है जहां वर्षों से एक ही शिक्षामित्र या फिर अनुदेशक सैकड़ों बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसे स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा, खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
नगर क्षेत्र के कंपोजिट स्कूल अजीतपुर में तैनात इंचार्ज अध्यापिका पांच माह पहले मातृत्व अवकाश पर चली गई थीं। इसके बाद से यहां पर केवल एक शिक्षामित्र ही बच्चों के पठन-पाठन की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। स्कूल में सभी कक्षाओं में कुल मिलाकर 216 बच्चे अध्ययनरत हैं। शिक्षामित्र फरहाना अफरोज के कंधों पर इन बच्चों के नियमित रूप से पठन-पाठन से लेकर एमडीएम तक की जिम्मेदारी है।
शिक्षामित्र बताती हैं कि कक्षा एक से आठ तक 216 बच्चों को पूरे समय अनुशासित रखना एक चुनौती है। इसी प्रकार सैदनगर ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक स्कूल मझरा रतनपुरा में 200 से अधिक बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल एक ही शिक्षामित्र मोहम्मद उमर तैनात हैं। बताते हैं कि छह माह पहले इस स्कूल में एक और शिक्षक तैनात थे। जिनका तबादला हो गया था। यह दो स्कूल तो उदाहरण भर हैं। जिले में तकरीबन 50 से अधिक ऐसे बेसिक स्कूल संचालित हो रहे हैं, जहां एक ही शिक्षामित्र अथवा शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहा है। ऐसे में गैर जिलों से यहां पर स्थानांतरित होकर आए 181 शिक्षकों को स्कूल आवंटन होने के बाद स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर होने की उम्मीद है। इन शिक्षकों को 15 सितंबर को स्कूल आवंटित किए जाएंगे।
गैर जिलों से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को सबसे पहले एकल स्कूलों में भेजा जाएगा। इसके बाद दो शिक्षक वाले स्कूलों में उनकी तैनाती होगी। 15 सितंबर को एनआईसी के पोर्टल के जरिये शिक्षकों को स्कूल आवंटित किए जाएंगे।
खास खास
-1596 जिले में बेसिक स्कूल
-1.60 लाख बच्चे हैं अध्ययनरत
-4057 शिक्षक इन स्कूलों में हैं तैनात
-2918 शिक्षकाें की कमी है जिले भर में
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