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Rampur News: डिप्रेशन और माइग्रेन के शिकार 75 फीसदी लोग

Rampur News: डिप्रेशन और माइग्रेन के शिकार 75 फीसदी लोग

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रामपुर। खराब दिनचर्या, कलह और तनाव मानसिक सेहत को खराब कर रहा है। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में हुए एक अध्ययन के मुताबिक 75 प्रतिशत लोग डिप्रेशन और माइग्रेन के शिकार मिले हैं। इन मरीजों में 40 प्रतिशत को नींद न आने की समस्या थी।

यह अध्ययन जिला अस्पताल में मनारोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष ने 13 श्रेणी में इस साल पिछले नौ माह में आए आठ हजार मरीजों पर किया है। उन्होंने बताया कि आत्महत्या का विचार 10 प्रतिशत लोगों में और नशे की लत पांच प्रतिशत लोगों में पाई गई। अल्जाइमर और एंजाइटी के 10 प्रतिशत लोग पीड़ित मिले हैं। इन्हीं मरीजों में अत्यधिक गुस्से की अवस्था, मिर्गी के दौरे, घबराहट या फोबिया जैसी मानसिक बीमारियां मिली हैं।

मानसिक बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। डॉ. आशुतोष के अनुसार मानसिक बीमारियों के कई कारण हो सकते हैं। जैसे अकेलापन, एल्कोहल और मादक पदार्थों का अधिक सेवन। शुरुआती समय में काउंसिलिंग से समस्या ठीक हो जाती है। कुछ मामलों में दवा की जरूरत रहती है। मरीजों को छह माह से एक साल तक दवा खानी पड़ती है।

केस एक

एक माह पहले जिला अस्पताल के मन कक्ष में 30 साल की महिला डॉक्टर के पास पहुंचीं। उसको घबराहट और बेचैनी की शिकायत थी। उसकी सारी जांच रिपोर्ट सामान्य थी, फिर भी वह इस समस्या का बीते छह माह से सामना कर रही थी। डॉ. आशुतोष ने बताया कि महिला एंजाइटी से पीड़ित थीं। काउंसिलिंग से महिला की हालत में काफी हद तक सुधार होने लगा है।

केस दो

22 साल का युवक पढ़ाई और कॅरियर प्लानिंग को लेकर अक्सर तनाव में रहता था। इसलिए उसके सिर में दर्द की शिकायत होने लगी। युवक मन कक्ष में पहुंचा। काउंसिलिंग के जरिये डॉक्टरों ने उसे तनाव से दूर रहने के उपाय बताए। इनमें युवक ने अपनी दैनिक दिनचर्या में योग, ध्यान और आहार में बदलाव किया। डॉक्टरों के अनुसार अब युवक पूर्ण रूप से स्वस्थ है।

मानसिक बीमारियों के लक्षण

-बिना वजह के घबराहट, बेचैनी

-अत्यधिक गुस्सा आना

-वास्तविकता से दूर होना

-आत्महत्या की भावना

-याददाश्त में कमी

बचाव के तरीके

-मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है। इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को समझें। उससे संवाद करें। उसे भावनात्मक और सामाजिक सहयोग दें।

-पढ़ने, खेलने, घूमने, योग, ध्यान के लिए प्रोत्साहित करें। नया सीखने और नई सोच विकसित करने के लिए प्रेरित करें। सकारात्मक सोच और रवैया पैदा करें।

बयान

मानसिक रोग मन में नकारात्मक विचारों का आना, अत्यधिक सोचना और या फिर नशे की लत के कारण हो सकता है। इससे बचाव के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। अगर कोई इन समस्याओं से जूझ रहा है तो वह जिला अस्पताल में मन कक्ष में सलाह ले सकता है।

डॉ. एसपी सिंह, सीएमओ।

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